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‘JNU में 3-4 जनवरी को नहीं तोड़े गए CCTV और बायोमेट्रिक सिस्टम’

RTI में हुआ कई अहम बातों का खुलासा

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भारत
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इस साल की शुरुआत में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा में न तो बायोमेट्रिक सिस्टम और न ही सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए या उनको कोई नुकसान पहुंचाया गया. एक आरटीआई के जवाब में इस बात की जानकारी दी गई है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दावा किया था कि हिंसा के दौरान छात्रों ने सीसीटीवी और बायोमेट्रिक सिस्टम में तोड़फोड़ की थी.

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द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नैशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास की ओर से 9 जनवरी को दायर की गई आरटीआई के जवाब में यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विसेस (CIS) की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है. जवाब में ये भी कहा गया है कि हालांकि 5 जनवरी की दोपहर और रात के वक्त जेएनयू के मेन गेट पर मौजूद सीसीटीवी की लगातार फुटेज उपलब्ध नहीं है, जब यहां छात्रों और शिक्षकों पर कैंपस के अंदर हमला किया गया था.

RTI का जवाब FIR के दावों से अलग

यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विसेस (CIS) की ओर से आरटीआई के जवाब में जो बातें कही गई हैं, वो जेएनयू सिक्योरिटी सर्विसेस की ओर से 5 जनवरी की रात को दर्ज की गई एफआईआर और यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दिए गए बयान में कई गड़बड़ियों और अस्पष्टताओं को उजागर करता है.

एक FIR में दावा किया गया है कि प्रदर्शनकारी छात्रों का एक ग्रुप 4 जनवरी को दोपहर 1 बजे के आसपास एक ग्लास बैक डोर को तोड़कर सीआईएस दफ्तर में दाखिल हुआ. एफआईआर में कहा गया है, "उन्होंने अवैध तरीके से यूनिवर्सिटी की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए आपराधिक इरादे से सर्वरों को नुकसान पहुंचाया और इसे बेकार कर दिया. उन्होंने फाइबर ऑप्टिक केबल्स और बिजली की आपूर्ति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया और कमरे के अंदर बायोमेट्रिक सिस्टम को तोड़ दिया." इस एफआईआर में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशा घोष समेत कई छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.

5 जनवरी को एक और एफआईआर भी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि 3 जनवरी को छात्रों द्वारा की गई तोड़फोड़ में “बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस और सीसीटीवी सर्विलेंस सिस्टम” समेत कई चीजों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया.  

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने एक बयान में दावा किया है कि 5 जनवरी को हुई हिंसा की शुरुआत 3 और 4 जनवरी को कैंपस में की गई तोड़फोड़ से हुई थी. उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि टूटी हुई बायोमेट्रिक सिस्टम ने शीतकालीन सेमेस्टर के रजिस्ट्रेशन पर असर डाला है.

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क्या है RTI के जवाब में?

सौरव दास ने अपनी आरटीआई याचिका में 30 दिसंबर, 2019 से 8 जनवरी, 2020 तक सीआईएस दफ्तर में "टूटी / नष्ट की गई बायोमेट्रिक सिस्टम की कुल संख्या" के बारे में जानकारी मांगी थी. सीआईएस की तरफ से जवाब दिया गया- "एक भी नहीं". आरटीआई के जवाब में यह भी कहा गया है कि जेएनयू कैंपस के नॉर्थ या मेन गेट पर चार सीसीटीवी कैमरे हैं, हालांकि यूनिवर्सिटी ने "सुरक्षा कारणों" का हवाला देते हुए सीसीटीवी कैमरों की जगह का पूरा ब्यौरा देने से इनकार कर दिया.
जब 30 दिसंबर से 8 जनवरी तक सभी सीसीटीवी कैमरों में हुई तोड़फोड़ का ब्यौरा मांगा गया, तो सीआईएस की प्रतिक्रिया फिर से थी - "एक भी नहीं".

सीसीटीवी कैमरा फुटेज को स्टोर किए जाने वाले सर्वरों के जगह के बारे में भी स्थिति साफ नहीं है.  

यह पूछे जाने पर कि क्या सीआईएस दफ्तर में सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं, आरटीआई जवाब में कहा गया है कि वे "सीआईएस दफ्तर में मौजूद नहीं हैं लेकिन डेटा सेंटर में स्थित हैं". हालांकि, एक अन्य सवाल के जवाब में कहा गया है, "सर्वर रूम का स्थान JNU के हॉल नंबर 3, CIS, SBT बिल्डिंग में है." यह साफ नहीं है कि ये सर्वर CIS कार्यालय में कथित तोड़फोड़ से प्रभावित हुए थे.

सीआईएस सर्वरों में इस्तेमाल फाइबर-ऑप्टिक केबलों के बारे में आरटीआई जवाब में कहा गया है कि 4 जनवरी को 17 ऐसे केबलों को 1 बजे के आसपास नुकसान पहुंचाया गया.

ये भी पढ़ें- JNU हिंसा को लेकर बोला ABVP- ‘ये यूनिवर्सिटी पर एक नक्सली हमला था’

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