देश में तीन कोरोना वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि, देश में कोविड की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने कहा है कि जिन विदेशी वैक्सीनों को अमेरिकी, यूके ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी मिल चुकी हैं, उन्हें भारत में भी मंजूर किया जाएगा. ऐसे में अब खबर आई है कि अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत के ड्रग रेगुलेटर से फेज 3 ट्रायल और इंपोर्ट लाइसेंस की इजाजत मांगी है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जॉनसन एंड जॉनसन भारत में अपनी सिंगल-डोज कोविड वैक्सीन का फेज 3 ट्रायल शुरू करना चाहता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की Covid-19 पर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी के साथ एक जल्द बैठक मांगी है.
पीटीआई की खबर कहती है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने 12 अप्रैल को 'सुगम ऑनलाइन पोर्टल' पर ग्लोबल क्लीनिकल ट्रायल डिवीजन के जरिए अप्लाई किया था. जबकि कंपनी को बायोलॉजिकल डिवीजन के जरिए अप्लाई करना चाहिए थे क्योंकि यही डिवीजन वैक्सीन से डील करता है.
जॉनसन एंड जॉनसन पर US में रोक
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 13 अप्रैल को सभी राज्यों से जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के इस्तेमाल को अस्थायी रूप से रोकने को कहा था. अमेरिका में छह महिलाओं में ब्लड-क्लॉटिंग डिसऑर्डर देखा गया था, जिसके बाद ये फैसला लिया गया. एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि दूसरी की हालत गंभीर है.
सभी छह मामले 18 से 48 साल की महिलाओं में देखे गए हैं. इन सभी में लक्षण सिंगल-डोज वैक्सीन लेने के 6 से 13 दिन बाद देखे गए.
जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने बयान में कहा था कि ब्लड क्लॉट और वैक्सीन में 'कोई साफ संबंध' नहीं है. कंपनी ने कहा कि वो रेगुलेटर के साथ डेटा का आकलन कर रही है.
वहीं, अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के टॉप डॉक्टर डॉ एंथनी फाउची ने अनुमान लगाया है कि 23 अप्रैल तक जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन पर फैसला आ सकता है. डॉ फाउची ने CNN से कहा कि ‘वैक्सीन प्रतिबंधों या चेतावनी’ के साथ वापस आ सकती है.
भारत में कौन बनाएगा ये वैक्सीन?
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन बनाने के लिए यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DFC) हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई को वित्तीय मदद देगी.
इस वैक्सीन की प्रभावकारिता अमेरिकी वैक्सीन मॉडर्ना और फाइजर के मुकाबले कम है. जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन माध्यम से गंभीर संक्रमण के लिए 66 फीसदी प्रभावी है. वहीं, काफी गंभीर बीमारी में इसे 85 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है.
ये सिंगल डोज वैक्सीन है और इसकी कीमत 10 डॉलर (700-750 रुपये) के करीब होगी.
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