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Joshimath| एक्सपर्ट पैनल ने दी ज्यादा नुकसान वाले घरों को ढहाने की सलाह-रिपोर्ट

Joshimath Land Sink: जोशीमठ में कम से कम 25% क्षेत्र, जिसमें करीब 25,000 लोग रहते हैं, प्रभावित हुए हैं.

Published
भारत
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उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath Land Sink) में जमीन धंसने के मामले में केंद्रीय आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा की अध्यक्षता वाले 8 सदस्यों के पैनल का गठन किया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पैनल ने 48 घंटे के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

इस रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि जिन घरों में ज्यादा नुकसान हुआ है उन्हें ढहा देना चाहिए. हम आपको बिंदुवार ढंह से बताते हैं कि पैनल ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या बातें कही हैं.

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पैनल की अहम बातें

  • जोशीमठ में जिन घरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है उन्हें गिरा देना चाहिए. जो इलाके अब रहने लायक नहीं बचे हैं, उनकी पहचान करके वहां से लोगों को निकालकर पुनर्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए.

  • प्राथमिक तौर पर लगता है कि जोशीमठ में जमीन धंसने से कम से कम 25% क्षेत्र, जिसमें करीब 25,000 लोग रहते हैं, इससे प्रभावित हुए हैं.

  • नुकसान की गंभीरता का आंकलन अभी प्रक्रिया में है. इसके लिए तीन श्रेणीयां बनाई गई हैं- हल्के, मध्यम और गंभीर.

  • अगस्त 2022 में हुए पिछले सर्वे से तुलना करें तो सुनील, मनोहर बाग, सिंहधर और मरवाड़ी इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

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  • पैनल ने कहा कि पानी के बहाव का तेज होना और बढ़ी हुई दरारों का दिखना मेल खाता है. जेपी कॉलोनी में चट्टान फटने से मोटे तौर पर प्रति मिनट 400 लीटर पानी बहा. ऐसा देखा गया कि चटट्टान फटने से जमीन का कटाव बढ़ा है.

  • 6. जेपी कॉलोनी से मारवाड़ी तक आंकलन करने पर पता चला कि पानी बाहर निकलने से जमीन के नीचे खाली जगह बन गई, इसका नतीजा ये रहा कि जेपी कॉलोनी में जमीन धंसी, ऊपर घरों में बड़ी दरारें आ गईं और उनके नीव कमजोर हो गए.

  • 7. इस दौरान, जिन घरों, इमारतों, मंदिरों को नुकसान पहुंचा है, उनकी कुल संख्या 48 घंटे के अंदर 561 से बढ़कर 603 हो गई. अब तक 55 परिवारों को उनके घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

इनपुट- टाइम्स ऑफ इंडिया

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