बीजेपी प्रेसिडेंट जे पी नड्डा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जरिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा है.
नड्डा के मुताबिक, नेहरू ने मुखर्जी की मौत की जांच का आदेश नहीं दिया. जबकि जनता ऐसा चाहती थी. इतिहास इस बात का गवाह है. नड्डा ने ये बातें श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहीं. आज मुखर्जी की 66 वीं पुण्यतिथि है.
आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है. इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीजेपी हेडक्वार्टर पर मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी.
अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था. इसलिए उन्होंने सत्ता का त्याग कर देश की एकता और अखंडता के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान के विरुद्ध डॉ मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रवादी आंदोलन छेड़ा था.’
वहीं जेपी नड्डा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी किसी पद से जुड़े व्यक्ति नहीं थे. वह देश की सेवा करने के लिए आगे बढ़े थे.’ नड्डा ने आगे कहा-
मुखर्जी चाहते थे कि भारत के तिरंगे का ही सम्मान होना चाहिए इसलिए दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे. उन्ही के बलिदान के कारण ही आज जम्मू कश्मीर से परमिट की व्यवस्था खत्म हुई है. डॉ मुखर्जी प्रखर राष्ट्रवादी, दूरद्रष्टा और दिशा देने वाले नेता थेजे पी नड्डा, बीजेपी अध्यक्ष
प्रधानमंत्री ने डॉ मुखर्जी को याद किया
प्रधानमंत्री मोदी ने जनसंघ फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए कहा, ‘डॉ मुखर्जी ने अपना जीवन देश की एकता और अखंडता के लिए न्यौछावर कर दिया. उनकी मजबूत और एकजुट भारत की भावना हमें आज भी प्रेरित करती है और 130 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की शक्ति देती है.’
कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी
श्यामा प्रसाद मुखर्जी हिंदूवादी नेता थे. वे जवाहर लाल नेहरू की अंतरिम सरकार में उद्योग मंत्री भी बने. मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के साथ लागू धारा 370 का विरोध किया था. इसके विरोध करने वे 1953 में बगैर इजाजत जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर गए. वहां पहुंचते ही उन्हें नजरबंद कर लिया गया. नजरबंदी के दौरान ही 23 जून 1953 को उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई.
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