सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जस्टिस कर्णन मामले की सुनवाई करते हुए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और जस्टिस कर्णन का मेडिकल टेस्ट किया जाए जिसमें मानसिक स्थिती का आकलन किया जाए. सुप्रीम कोर्ट मे जांच के लिए 5 मई की तारीख मुकर्रर की है और रिपोर्ट जमा करने के लिए 8 मई तक का वक्त दिया है.
जस्टिस कर्णन बोले- कोलकाता DIG को सस्पेंड कर दूंगा
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के चंद घंटे बाद ही जस्टिस कर्णन ने मोर्चा खोल दिया है.
अगर कोलकाता डीजीपी मेरा जबरन मेंटल हेल्थ चेक करने आते हैं तो हो सकता है कि संज्ञान लेते हुए मैं उन्हें सस्पेंड कर दूं और उन्हें नई दिल्ली भेजकर एम्स के मानसिक मेडिकल बोर्ड में 7 आरोपी जजों के मेडिकल टेस्ट का आदेश दे दूंगा.जस्टिस कर्णन, कोलकाता हाई-कोर्ट
सोमवार को कोर्ट में क्या हुआ?
जस्टिस कर्णन को 1 मई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना था और वो नहीं हुए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता डीआईजी को एक मेडिकल टीम के गठन की जिम्मेदारी सौंपी है जो जस्टिस कर्णन के मानसिक हालत की जांच करेगी. कोर्ट ने अभी भी जस्टिस कर्णन को अपना पक्ष रखने की आजादी है. जिस बेंच में केस की सुनवाई चल रही है उसमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.
देशभर की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों, आयोगों को निर्देश दिए कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार ना करें.
जस्टिस कर्णन केस क्या है?
कलकत्ता हाइकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर चीफ जस्टिस समेत सात जजों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था. जस्टिस कर्णन ने एयर कंट्रोल अथॉरिटी को आदेश दिया कि जब तक उनके खिलाफ चल रहे मामले का निबटारा नहीं हो जाता, तब तक सातों जज देश से बाहर नहीं जा सकते. यह आदेश जस्टिस कर्णन ने अपने घर रोजडेल टावर्स, न्यू टाउन पर शिफ्ट की गयी अदालत में पास किया है.
जस्टिस कर्णन ने 20 जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया था. जस्टिस कर्णन ने 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और 7 जजों को 28 अप्रैल को अपनी अदालत में पेश होने को कहा था.
सात जजों के संविधान पीठ ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था. इसके बाद जस्टिस कर्णन 31 मार्च को शीर्ष अदालत के सामने पेश भी हुए थे. जस्टिस कर्णन ने न्यायिक और प्रशासनिक शक्तियां बहाल करने की मांग की थी लेकिन न्यायालय ने अपने पहले के आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद जस्टिस कर्णन ने कहा था कि वह दोबारा न्यायालय के समक्ष पेश नहीं होंगे.
उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के न्यायधीशों के खिलाफ लिखे गए न्यायमूर्ति कर्णन के कई पत्रों पर स्वत: संज्ञान लिया है.
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