कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस पर महाभियोग से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है, लेकिन उनके सवालों के बाद मामले में विवाद और बढ़ना तय है.
कांग्रेस के दो सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू के फैसले पर सवाल उठाए थे. नायडू ने विपक्ष के महाभियोग नोटिस को खारिज कर दिया था.
सिब्बल ने सवाल पूछा है कि पहले उन्हें ये बताया जाए कि किसके आदेश से सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 5 जजों की संविधान बेंच बनाई. वरिष्ठ वकील सिब्बल के मुताबिक जब तक उन्हें आदेश की कॉपी नहीं मिलेगी तब तक इस पर बहस करना मुमकिन नहीं है.
कपिल सिब्बल ने कहा-
- हमें कल पता चला कि 5 जजों की बेंच महाभियोग की याचिका सुनेगी. हमने 7 सवाल कोर्ट के सामने रखे, हमें नहीं मालूम था कि किस न्यायिक आदेश से बेंच बनी.
- आर्टिकल 145 (3) के अंतर्गत अगर संविधान से जुड़ा मामला है, तो 5 जजों की बेंच सुनवाई करेगी.
- जब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया ही नहीं तो 5 जजों की बेंच क्यों बनाई गई.
- 5 जजों की संवैधानिक बेंच न्यायिक अधिकार से बननी चाहिए, ये बेंच न्यायिक आदेश से नहीं बनी. याचिकाकर्ता को न्यायिक अधिकार की जानकारी लेने का हक है.
- अगर बेंच चीफ जस्टिस ने बनाई है तो उसकी जानकारी याचिकाकर्ता को होनी चाहिए.
- हम चाहते थे जो भी प्रशासनिक फैसला हुआ है, ये फैसला किसने किया है ये हमें बताया जाए. अगर कोर्ट ने फैसला किया है, तो कोर्ट की वेबसाइट में आना चाहिए था.
- अगर चीफ जस्टिस ने फैसला किया है तो उस ऑर्डर की कॉपी हमारे पास होनी चाहिए. अगर किसी और ने ये आदेश दिया है तो वो बताया जाए.
- हमें मालूम होना चाहिए कि आदेश किसने दिया है, लेकिन बेंच ने हमें ना तो कहा कि आदेश देंगे, ना ये कहा नहीं देंगे.
- संविधान के मुताबिक, ऐसा कोई आदेश नहीं है, जिसको चुनौती नहीं दी जा सकती
- जब तक हमें ऑर्डर नहीं मिलेगा तब तक हमने साफ कर दिया कि इस पर बहस नहीं कर सकते
- हमें सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है, ना ही कांग्रेस पार्टी को शिकायत है. सुप्रीम कोर्ट की स्वायत्तता की रक्षा करने के लिए हम कोशिश कर रहे हैं
- हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान, स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए ही कोशिश कर रहे हैं. हमने कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं उठाया, कोई मुद्दा राजनीति से जुड़ा नहीं है
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