पूरे विवाद की शुरुआत 19 फरवरी को हुई, जब IPS अधिकारी रूपा डी मौदगिल (Roopa D Moudgil) ने IAS अधिकारी रोहिणी सिंधुरी दसारी (Rohini Sindhuri Dasari) पर कर्नाटक के तीन ब्यूरोक्रेट्स को अपनी प्राइवेट फोटो (private photos) भेजने का आरोप लगाया. रूपा ने रोहिणी की कथित तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं और साथ ही उन पर भ्रष्टाचार के 19 आरोप भी जड़ दिए.
रोहिणी ने अगले दिन इशारे में जवाब में देते हुए रूपा को मानसिक रूप से बीमार बताया– उन्होंने ऑनलाइन एक मैसेज पोस्ट किया, ‘get well soon’ (जल्द स्वस्थ हो जाएं). 21 फरवरी को दोनों अधिकारियों का– जिन्होंने कर्नाटक के मुख्य सचिव वंदिता शर्मा (Vanditha Sharma) के सामने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी– बिना पोस्टिंग के ट्रांसफर कर दिया गया. खुली लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और बेहद निजी जानकारियां कन्नड समाचार चैनलों पर चल रही हैं.
रूपा ने बुधवार 22 फरवरी को एक सोशल मीडिया पोस्ट में मीडिया से उनके उठाए “भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ध्यान देने” को कहा.
रूपा कर्नाटक हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक थीं और रोहिणी हिंदू रेलिजस एंड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स की कमिश्नर थीं. विवाद के बाद रूपा मौदगिल के पति और IAS अधिकारी मुनीश मौदगिल (Munish Moudgil) का भी सर्वे, सेटलमेंट एंड लैंड रिकॉर्ड विभाग के कमिश्नर के पद से तबादला कर दिया गया. उन्हें अब कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है.
दोनों महिला अधिकारी, जिनकी पहचान काबिल अधिकारी के रूप में हैं, दोनों में एक साझा खासियत है– विवादों से उनका पुराना नाता है, जिनमें से कई का अंत उनके ट्रांसफर के रूप में हुआ.
एक राजनीतिक विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए उन्हें बिना सबूत सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में अपनी क्रिएटिविटी, काबिलियत और ताकत खर्च करने वाली “मिसगाइडेड मिसाइलें” करार दिया. दोनों अधिकारियों को मीडिया से बात नहीं करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं डालने को बोला गया है. दूसरी तरफ नौकरशाहों और मीडिया हलकों में इस झगड़े को लेकर अटकलों का दौर जारी है.
आइए इन महिला अधिकारियों के पेशेवर ट्रैक रिकॉर्ड पर एक नजर डालते हैं.
रूपा डी मौदगिल कौन हैं?
रूपा डी मौदगिल ने UPSC परीक्षा में 43वीं रैंक हासिल की थी. वह साल 2000 बैच की IPS अधिकारी हैं और उनकी उम्र 48 साल है.
रूपा ने साल 2004 में तब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं थीं, जब उनकी अगुवाई वाली सिर्फ महिला पुलिस जवानों की टीम ने 1994 के हुबली ईदगाह मैदान में सांप्रदायिक झड़पों में कथित संलिप्तता पर अदालत के कई समन को नजरअंदाज करने वाली फायरब्रांड BJP नेता उमा भारती (Uma Bharati) को गिरफ्तार किया था.
इसके कई सालों बाद 2017 में रूपा फिर सुर्खियों में आईं जब उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी एचएन सत्यनारायण राव पर बेंगलुरु जेल में बंद अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK)) की पूर्व नेता वी के शशिकला (V K Sasikala) को खास सुविधाएं देने का आरोप लगाया.
उन्होंने एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि शशिकला को गैरकानूनी तरीके से सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जेल अधिकारियों को 2 करोड़ रुपये दिए गए. राव ने मुदगिल से उनके आरोपों के सबूत मांगे. इसके फौरन बाद उन्हें जेल विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया और उन्हें यातायात और सड़क सुरक्षा आयुक्त बनाया गया.
साल 2020 में रूपा का बेंगलुरु सिटी पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) इंस्पेक्टर जनरल हेमंत निंबालकर (Hemanth Nimbalkar) से सार्वजनिक विवाद हुआ. झगड़ा सेफ सिटी प्रोजेक्ट को लेकर था.
निंबालकर ने एक टेंडर के बारे में गोपनीय जानकारी हासिल करने की कोशिश के लिए IPS अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग करते हुए कर्नाटक के मुख्य सचिव को पत्र लिखा. सरकार द्वारा मामले की जांच के आदेश देने के बाद रूपा ने स्वीकार किया कि उन्होंने टेंडर के बारे में जानकारी लेने के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट को तलब किया था.
हालांकि उनका कहना था कि उन्होंने टेंडर की फाइल में गंभीर अनियमितताएं पाई हैं. इसने विवादों की एक श्रृंखला को जन्म दिया, जिसके बाद राज्य सरकार को दोनों अफसरों को हटाने का फैसला लेना पड़ा.
रूपा अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. जब वह सिटी आर्म्ड रिजर्व पुलिस उपायुक्त (DCP) थीं तो उन्होंने प्रोटोकॉल का उल्लंघन पाए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा (B S Yediyurappa) के काफिले में इस्तेमाल किए जा रहे पुलिस वाहनों को वापस बुला लिया था. जब वह बेंगलुरु की डीसीपी थीं तो बिना कानूनी प्रावधान के VVIP और राजनेताओं के सेवक के रूप में तैनात किए गए कई पुलिस कर्मियों को वहां से हटा लिया था.
इससे पहले पुलिस विभाग में तबादलों पर टिप्पणी करने वाले बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा (Prathap Simha) रूपा के निशाने पर थे. सिम्हा ने दावा किया था कि राज्य के ईमानदार IPS अफसर केंद्र सरकार में पोस्टिंग की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें राज्य में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रूपा ने उनसे नौकरशाही का राजनीतिकरण नहीं करने को कहा था.
रोहिणी सिंधुरी दसारी कौन हैं?
हैदराबाद की केमिकल इंजीनियरिंग छात्रा रोहिणी ने सिविल सर्विसेज को चुना क्योंकि वह विदेश नहीं जाना चाहती थीं. रोहिणी ने एक बार इस संवाददाता से बातचीत में कहा था, “मैं बॉयलर डिजाइनर बनकर नहीं रह जाना चाहती थी. सिविल सेवा एक ऐसा पेशा है जो राजनीति और मीडिया जैसा है और जिसमें हर दिन एक चुनौती है.” वह 2009 बैच की IAS अधिकारी हैं और उनकी उम्र 39 साल है.
साल 2015 में रोहिणी केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की मिसाल बन गईं. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के तौर पर उनकी अगुवाई में मदया (Madya) जिला शौचालय निर्माण में 100 प्रतिशत अंक लाने वाला कर्नाटक का पहला जिला बना. इस उपलब्धि के लिए केंद्र सरकार ने उन्हें सम्मानित किया था.
वैसे रोहिणी पद पर रहते हुए कई विवादों में घिर चुकी हैं.
रोहिणी का नाम साल 2015 में एक IAS अधिकारी डीके रवि (DK Ravi) की रहस्यमय मौत की जांच में सामने आया था. रवि ने अपनी मौत से पहले कथित तौर पर रोहिणी को मैसेज भेजे थे. 2016 में दाखिल की गई जांच की क्लोजर रिपोर्ट में उन्हें किसी भी संलिप्तता से बरी कर दिया था.
साल 2018 में श्रवणबेलगोला में भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक के दौरान मंत्री ए मंजू के लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप के बाद हासन की डिप्टी कमिश्नर रोहिणी का ट्रांसफर कर दिया गया था. उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था.
सबसे हालिया मामला 2021 का है, जब कोविड लहर के उफान के दौरान चामराजनगर के डिप्टी कमिश्नर ने मैसूरु (Mysuru) की डिप्टी कमिश्नर रोहिणी पर चामराजनगर कोविड अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई नहीं करने का आरोप लगाया था. वहां ऑक्सीजन की कमी से 24 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी. बाद में हाईकोर्ट के नियुक्त किए पैनल ने रोहिणी को क्लीन चिट दे दी.
इसी साल JD(S) के विधायक सा रा महेश (Sa Ra Mahesh) ने रोहिणी पर ‘कपड़े के थैले घोटाले’ (cloth bag scam) का आरोप लगाया. इससे पहले राजकालुवे (मुख्य नाले) पर मैरिज हॉल बना अतिक्रमण करने का आरोप लगा लगा चुके विधायक ने मैसूरु की तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर रोहिणी पर प्लास्टिक-फ्री अभियान के लिए महंगे दाम पर 14.71 लाख कपड़े के थैले खरीदने का आरोप लगाया था.
विधायक महेश और सांसद प्रताप सिम्हा दोनों ने रोहिणी पर मैसूरु के डिप्टी कमिश्नर के तौर पर सरकारी घर में रहने के दौरान एक स्विमिंग पूल और इनडोर जिम बनाने के लिए सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
साल 2021 में रोहिणी और मैसूर नगर निगम की आयुक्त एक दूसरी IAS अधिकारी शिल्पा नाग (Shilpa Nag) के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद दोनों का ट्रांसफर कर दिया गया. शिल्पा नाग ने रोहिणी पर उन्हें “नीचा दिखाने” और उनकी पेशेवर क्षमता को खारिज करने का आरोप लगाया था.
फिलहाल इस सवाल का जवाब मिलना बाकी है कि क्या कर्नाटक सरकार इन दो अफसरों के ट्रांसफर के बाद इनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करेगी.
(नाहीद अताउल्ला बेंगलुरु, कर्नाटक के वरिष्ठ पत्रकार हैं.)
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