कर्नाटक के मैसुरु जिले में हिरासत में लिए गए एक शख्स की मौत के मामले में पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. शख्स के परिवार ने आरोप लगाया है कि हिरासत में उसके साथ मारपीट (Custodial Death) की गई. मैसुरु जिले में वन विभाग ने 10 अक्टूबर को एक शख्स को हिरण का शिकार करने और उसका मांस बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. 12 अक्टूबर को इस शख्स की मौत हो गई.
मैसुरु के एन बेगुरु पंचायत के होसहल्ली बस्ती के रहने वाले 49 साल के करियप्पा के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि रेंज वन ऑफिस में हिरासत में रहते हुए मारपीट से उसकी मौत हुई है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वन अधिकारियों ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि पीड़ित व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार था और उसे दो दिन बाद अस्पताल ले जाना पड़ा. एक वन अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पब्लिकेशन से कहा, "हमने हिरण का शिकार करने और उसका मांस बेचने के एक मामले में 10 अक्टूबर को उसे हिरासत में लिया था. हमारी तरफ से उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. बुधवार को, उसने तबीयत खराब होने की शिकायत की, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया."
दूसरी ओर, परिवार के सदस्यों का कहना है कि करियप्पा से हिरासत में मारपीट की गई है क्योंकि उसके शरीर पर चोट के निशान थे.
एक रिश्तेदार ने कहा, "उसके शरीर पर चोट के निशान साबित करते हैं कि उसे वन कर्मचारियों ने प्रताड़ित किया था. जब कोई जानवर जंगल में अपनी प्राकृतिक मौत मरता है, वन विभाग हम पर शिकार करने का आरोप लगाता है और हमारे खिलाफ झूठे मामले दर्ज करता है. कई मौकों पर उन्होंने हमें प्रताड़ित किया है."
SP आर चेतन ने कहा कि उन्हें इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है.
पिछले दिसंबर में, मैसूरु के पेरियापटना में नागरहोल के हुनसुर वाइल्डलाइप रेंज में वन कर्मियों ने एक आदिवासी शख्स पर गोली चला दी थी, जिसमें शख्स घायल हो गया था.
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