गरीबी और अपने बच्चों से मिलने की ललक ने तीन कश्मीरी छात्रों (Kashmiri Students) के परिवारों को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है, जो पिछले 160 दिनों से आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 30 मार्च को जमानत दिए जाने के बाद भी तीन छात्र शौकत अहमद गनी, अरशद यूसुफ पॉल और इनायत अल्ताफ शेख अब भी जेल में हैं.
तीनों को तब हिरासत में लिया गया था, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक टी20 विश्व कप मैच के दौरान भारत पर पाकिस्तान की जीत के लिए बधाई देने वाला मैसेज पोस्ट किया था.
अरशद युसूफ के चाचा मोहम्मद यासीन पॉल ने फोन पर क्विंट को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान लगी पाबंदियां खत्म होने के बाद मैं यहां अपने भतीजे से मिलने आया था. उसके अगले दिन केस की सुनवाई होनी थी और जमानत मिल गई.
जेल में बंद छात्रों के रिश्तेदारों ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि पिछले 5 महीनों के दौरान हम अपने बच्चों को जेल से बाहर निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन जमानत याचिका पर लंबे समय से बार-बार सुनवाई नहीं हो रही थी.
आखिरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच महीने के लंबे इंतजार के बाद 30 मार्च को उन्हें जमानत दे दी.
जमानत आदेश उनके परिवार के सदस्यों के लिए खुशी लाने में फेल रहा है, क्योंकि जमानत राशि के रूप में भुगतान करने के लिए पैसे की कमी के कारण तीनों अभी भी सलाखों के पीछे हैं.
यासीन ने कहा कि माननीय कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने को आठ दिन गुजर चुके हैं, लेकिन जेल से उनकी रिहाई अभी भी एक ख्वाब है क्योंकि कोर्ट ने हमें 6 लाख रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करने के लिए कहा है.
अरशद बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अपने पिता को एक्सीडेंट में 1 वर्ष की आयु में ही खो दिया. अब उनके परिवार में उनकी मां और दो छोटी बहनें शामिल हैं.
यासीन ने क्विंट को बताया कि उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है, इसलिए जमानत राशि जमा करने के लिए दो लाख रुपये कैश की मोटी रकम जुटा पाना नामुमकिन होगा.
द क्विंट के साथ एक इंटरव्यू में छात्रों के परिवार ने कहा था कि पॉल पढ़ाई में अच्छा था और एक अच्छी नौकरी हासिल करने के बाद अपनी स्थिति बदल पाने की उससे उम्मीद लगाई थी.
अरशद के चाचा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के बुरे वक्त ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है.
उन्होंने कहा कि मेरे पास जो कुछ भी था, मैंने उसे कानूनी शुल्क और यात्रा शुल्क के लिए खर्च कर दिया है. अब हमें 6 लोगों को लाने के लिए कहा जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक को अपने बैंक खातों में एक लाख जमा करना होगा ताकि हमारे बच्चों की रिहाई के लिए जमानत बॉन्ड बनवाया जा सके.
एक मददगार की तलाश
पिछले आठ दिनों से परिवार के सदस्यों को अपने बच्चों के लिए एक मददगार की तलाश में दर-दर भटकना पड़ रहा है.
अरशद के चाचा ने कहा कि मामले से जुड़े डर और संवेदनशीलता को देखते हुए, इस वक्त मददगार के रूप में कौन आएगा? हमने बहुत से लोगों से संपर्क किया है, लेकिन किसी ने हमारी गुजारिश पर हां नहीं कहा.
उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा, हम सचमुच फाइनेंसियल मदद के लिए भीख मांग रहे हैं, लेकिन अब तक हम ऐसा करने में बुरी तरह फेल रहे हैं. हमने अपने प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स जमा करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे प्राप्त करने में महीनों लगेंगे.
इसके अलावा उनके घर और परिवार के लोगों पर उदासी छायी हुई है.
शौकत की मां हफीजा ने द क्विंट से बात करते हुए कहा...
मेरा दिल दुखता है और अपने बेटे के लिए तरसता है. मैं खुद को घुटा हुआ और असहाय महसूस करती हूं और मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. मैं अपना घर बेच दूंगी और खुले आसमान के नीचे रहना पसंद करूंगी, लेकिन हमारा जर्जर घर कौन खरीदेगा?
उन्होंने निराश होकर कहा कि एक मां ही समझ सकती है कि मैं किस दर्द से गुजर रही हूं.
30 मार्च को कोर्ट ने छात्रों को जमानत देते हुए कहा कि भारत की एकता बांस की सरकंडों से नहीं बनी है जो खाली नारों की बहती हवाओं के आगे झुक जाएगी.
'झूठे, मनगढ़ंत मामलों में जेल'
तीनों के परिवारों ने क्विंट से बात करते हुए अधिकारियों पर झूठे और मनगढ़ंत मामलों के तहत मामला दर्ज करने का आरोप लगाया था.
परिवार के सदस्यों ने सवाल करते हुए कहा कि व्हाट्सएप स्टेटस हमारे बच्चों को जेल में कैसे डाल सकता है?
अरशद के रिश्तेदार हिलाल अहमद पॉल ने कहा
अरशद का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज है. उसे क्रिकेट की भी परवाह नहीं है, यह बस उसका दुर्भाग्य है.
शौकत के बड़े भाई परवेज ने कहा कि वे पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और उनका मुस्तकबिल अच्छा होने वाला था लेकिन देशद्रोह के केस ने सचमुच उनके करिअर को बर्बाद कर दिया है.
तीनों की हिरासत के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीनों छात्रों पर दो ग्रुप्स के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए कंटेंट बनाने या प्रकाशित करने का आरोप लगाया था. हालांकि कॉलेज के अधिकारियों ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया था.
उनकी गिरफ्तारी होने के बाद परिवारों ने प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन सब बेकार साबित हुआ. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था कि पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वालों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए.
तीनों छात्रों को कोर्ट में एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और बाद में आगरा जेल ट्रांसफर कर दिया गया, जहां वकीलों और स्थानीय गुंडों ने उन्हें पीटा और गाली दी. यह घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई थी और इस पर लोगों काफी आलोचनात्मक टिप्पणी की.
कानूनी लागतों का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे अन्य परिवारों की तरह शौकत के माता-पिता को कानूनी फीस देने के लिए अपनी गाय बेचने को मजबूर होना पड़ा.
परवेज ने कहा कि हमने अब तक दो लाख रुपये से अधिक का पेमेंट किया है. ट्रेवेल फीस से लेकर वकीलों की फीस तक, हम पूरी तरह से सूख चुके हैं. हमारे पास अब देने के लिए पैसे नहीं हैं.
(इशफाक रेशी कश्मीर में रहने वाले एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनसे @IshfaqReshi_ ट्विटर हैंडल के जरिए संपर्क किया जा सकता है.)
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