8 साल की वो मासूम बच्ची जिसके साथ हुए गैंगरेप और हत्या को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. वो बच्ची जिसे इंसाफ दिलाने के लिए पूरा देश साथ खड़ा है. उसको जन्म देने वाले मां-बाप सामने आए हैं.
‘’उसे इसी साल पता चला था कि मैं उसको जन्म देने वाला पिता हूं.’’ ये कहना है 8 साल की कठुआ रेप पीड़ित के पिता मोहम्मद अख्तर का. उन्होंने जम्मू के उधमपुर में पहाड़ी पर बैठकर क्विंट से बात की. जहां पर उनके परिवार के और सदस्य भी थे.
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पीड़ित की मां रसिया उस समय को याद करती हैं, जब उन्होंने एक साल का होने पर अपनी बेटी को खुद से जुदाकर अपने भाई यूसुफ को दिया था, क्योंकि उसने अपने भाई को जुबान दी थी. रसिया बताती हैं, ''कुछ महीनों के अंदर ही यूसुफ ने अपने दो बच्चे खो दिए थे और वो तनाव में रहता था. बीमार भी रहता था और ज्यादा कुछ बोलता नहीं था. बस रोता रहता था, लेकिन उसकी जिंदगी में इस बच्ची के आने से वो बदल गया.''
'कोसता हूं अपने आप को'
अख्तर को विश्वास नहीं होता कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है. जब उन्होंने यूसुफ को बच्ची दी थी, वो उस वक्त को याद करके अपने आप को कोसते हैं.
घरवाली से लड़ते हैं. क्यों बोला था? जुबान क्यों दी थी उनको? कोसता हूं अपने आप को.मोहम्मद अख्तर
मोहम्मद अख्तर और उनकी पत्नी अपनी बेटी को वापस लेने आ रहे थे. उन्होंने यूसुफ को फोन भी किया था कि बच्ची को लेने आएंगे. लेकिन कुछ दिन बाद यूसुफ ने अख्तर को फोन किया और कहा कि आप बच्ची को लेने आने वाले थे, लेकिन चुपचाप ही ले गए?
ये सुनकर अख्तर को धक्का लगा.
मैंने उन्हें कहा कि मैं अपनी बेटी को चुपचाप क्यों ले जांऊगा? मैं खुल्लेआम ले जांऊगा. वो कहां है? तुम उसे क्यों नहीं ढूंढ सकते?मोहम्मद अख्तर
अख्तर और रसिया को 12 जनवरी को पता चला कि वो दो दिन से लापता है. खबर सुनते ही दोनों तुरंत कठुआ की ओर रवाना हो गए.
वो एक मंदिर में थी. इसकी बिल्कुल भी संभावना नहीं थी. ये पूजा करने की जगह है. क्या आप किसी बच्चे को जिंदा या मुर्दा यहां छिपाने के बारे में सोच सकते हो?मोहम्मद अख्तर
इस घटना के बाद अख्तर को डर सता रहा है कि कहीं उनके मां-बाप को न मार दिया जाए. वो घुमंतू समाज गुज्जर बकरवाल से हैं, जो उत्तर कश्मीर में कारगिल और जम्मू आते जाते रहते हैं. फिलहाल वो आगे ही बढ़ रहे हैं और उधमपुर छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वो कहते हैं कि दिन के हालात देखकर दिन में सफर करने से डर लगता है.
अख्तर बताते हैं कि वो इस साल 25 अगस्त तक लौट आएंगे, क्योंकि उत्तरी कश्मीर में काफी भारी बर्फ पड़ने लगती है. ये हर साल ऐसा करते हैं. अख्तर ने कठुआ में अपना घर भी बना लिया है और वो वहां बसना भी चाहते हैं, लेकिन रसिया इसके खिलाफ हैं. उनका मन नहीं करता कि जहां उनकी बेटी को मारा गया वो वहां जाकर बसें. लेकिन अख्तर कहते हैं कि वो वहां जाकर उन लोगों से बात करना चाहते हैं, जिन्होंने उनकी बेटी का ख्याल रखा था फिर भले ही वो हिंदू हैं या नहीं.
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