केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर बड़ा बयान दिया है. विजयन ने कहा है कि केरल में जनगणना के लिए आंकड़े इकट्ठे करने दिए जाएंगे, लेकिन राज्य दूसरे चरण के आंकड़ों को इकट्ठा करने में, जिनका इस्तेमाल एनपीआर के लिए किया जाएगा, उसमें अपना सहयोग नहीं देगा.
राज्य सरकार न तो नागरिकता संशोधन कानून को लागू करेगी, नहीं एनपीआर के लिए सूची बनाने की अनुमति देगी. यहां डिटेंशन सेंटर नहीं बनाए जाएंगे. राज्य जनगणना के लिए आंकड़े इकट्ठा करने के लिए तैयार है, लेकिन इन आंकड़ों के दूसरे चरण में हिस्सा नहीं लिया जाएगा.पिनराई विजयन
बता दें नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इस कानून में पहली बार धर्म को आधार बनाकर नागरिकता दी जा रही है.
इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन धर्म के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधानों को ढीला किया जा रहा है.
कानून पर आपत्ति जताने वाले लोगों का कहना है कि धर्म के आधार पर किसी विशेष समुदाय के लोगों को बाहर रखना संविधान के मुताबिक गलत है. लेकिन इस कानून का एनआरसी के साथ घालमेल पर ज्यादा चिंता जताई जा रही है.
अभी हाल में असम में एनआरसी हुई थी. वहां साढ़े तीन करोड़ लोगों में से 19 लाख अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए. ऐसे में वहां मुस्लिम धर्म के लोगों को छोड़कर बाकी को सीएए का लाभ मिल सकता है और वे अपनी नागरिकता साबित कर सकते हैं.
विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि एनआरसी में कई लोग दस्तावेज पेश नहीं कर पाए. भारत के पिछले इलाकों में तो यह और भी खतरनाक रूप ले लेगा. ऐसे में उन मुस्लिमों के लिए मुश्किल हो जाएगी, जो वाकई भारत के नागरिक हैं.
पढ़ें ये भी: केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आए पीएम मोदी और BJP सांसद
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)