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खालिस्तान विवाद की शुरुआत से लेकर अबतक की 10 बड़ी बातें

क्या था खालिस्तान का विवाद, कैसे हुई इसकी शुरुआत?

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भारत
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत की यात्रा पर हैं. जस्टिन ट्रुडो की यात्रा से पहले और अब 'खलिस्तान' विवादों में हैं. पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने भी ट्रुडो के साथ मुलाकात में खालिस्तान का मुद्दा गंभीरता से उठाया. कैप्टन अमरिंदर ने उन लोगों की लिस्ट भी ट्रुडो को सौंपी हैं जो कनाडा में है और भारत में खालिस्तान आंदोलन को कथित तौर पर फैलाने का काम कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा के रक्षामंत्री पर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने वाले लोगों से सहानूभुति रखने का आरोप लगाया था.

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ऐसे में खालिस्तान से जुड़ी 10 बड़ी बातें जानना जरूरी है

  1. पंजाबी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग की शुरुआत पंजाबी सूबा आंदोलन से हुई थी. कह सकते हैं कि ये पहला मौका था जब पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की कोशिश हुई. अकाली दल का जन्म हुआ और कुछ ही वक्त में इस पार्टी ने बेशुमार लोकप्रियता हासिल कर ली. अलग पंजाब के लिए जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हुए और अंत में 1966 में ये मांग मान ली गई. भाषा के आधार पर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना हुई.
  2. 'खालिस्तान' के तौर पर स्वायत्त राज्य की मांग ने 1980 के दशक में जोर पकड़ा. धीरे-धीरे ये मांग बढ़ने लगी और इसे खालिस्तान आंदोलन का नाम दिया गया. अकाली दल के कमजोर पड़ने और 'दमदमी टकसाल' के जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ये आंदोलन हिंसक होता गया.
  3. जरनैल सिंह भिंडरावाला के बारे में कहा जाता है कि वो सिख धर्म में कट्टरता का समर्थक था. सिखों के शराब पीने, बाल कटाने जैसी चीजों के वो सख्त खिलाफ था. भिंडरावाले ने पूरे पंजाब में अपनी पकड़ बनानी शुरू की और फिर शुरू हुआ अराजकता का दौर.
  4. साल 1980-1984 के बीच पंजाब में आतंकी हिंसाओं ने जबरदस्त उछाल ली. 1983 में डीआईजी अटवाल की स्वर्णमंदिर परिसर में ही हत्या कर दी गई. इसी साल से भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया. सैकड़ों हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों से वो हमेशा घिरा रहता था, साथ ही हथियारों का जखीरा भी वहां जुटाया जाने लगा. कह सकते हैं कि मंदिर को किले में तब्दील करने की तैयारी शुरू हो गई थी.
  5. तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के लिए सिरदर्द बने इस मुद्दे के कई विकल्प शुरुआत में तलाशे गए. भिंडरवाला को स्वर्ण मंदिर से निकालने की तैयारी की जाने लगी
  6. 'ऑपरेशन सनडाउन' बनाया गया, 200 कमांडोज को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई. लेकिन बाद में आम नागरिकों को ज्यादा नुकसान की आशंका के चलते इस ऑपरेशन को नकार दिया गया.
  7. आखिर में इंडियन आर्मी ने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को अंजाम दिया गया. 1-3 जून 1984 के बीच पंजाब की रेल, रोड और एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस को रोक दिया गया. स्वर्ण मंदिर में पानी और बिजली की सप्लाई काट दी गई. स्वर्ण मंदिर के अंदर 6 जून 1984 को व्यापक अभियान चलाया गया, भारी गोलीबारी के बाद जरनैल सिंह भिंडरवाला का शव बरामद कर लिया गया. 7 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर पर आर्मी का कंट्रोल हो गया.
  8. इस ऑपरेशन के बाद सिख समुदाय के लोग इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्से में थे, कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई सिख नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. खुशवंत सिंह समेत कई लेखकों ने अपने अवॉर्ड वापस कर दिए.
  9. महज 4 महीने बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही 2 सिख सुरक्षाकर्मियों ने कर दी.
  10. खालिस्तान आंदोलन यहीं खत्म नहीं हुआ, इसके बाद से कई छोटे-बड़े संगठन बने.
  • 23 जून 1985 को एक सिख राष्ट्रवादी ने एयर इंडिया के विमान में विस्फोट किया, 329 लोगों की मौत हुई थी. दोषी ने इसे भिंडरवाला की मौत का बदला बताया.
  • 10 अगस्त 1986 को पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की दो बाइक सवार बदमाशों ने हत्या कर दी. वैद्य ने ऑपरेशन ब्लूस्टार को लीड किया था. इस वारदात की जिम्मेदारी खालिस्तान कमांडो फोर्स नाम के एक संगठन ने ली.
  • 31 अगस्‍त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास हुए बम विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्‍या कर दी गई थी. ब्लास्ट में 15 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

इन सब घटनाओं को खालिस्तान आंदोलन से जोड़कर देखा जाता है. कई दूसरे देशों में बैठकर भी खालिस्तान समर्थक भारत में कट्टरवादी विचारधारा को हवा देते रहते हैं.

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