बिहार में 250 से अधिक नीलगायों को मारने का मामला काफी तूल पकड़ रहा है. इस मामले को लेकर महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर की आपस में ठन भी गई.
लेकिन यह पहला मामला नहीं है, जब इतनी बड़ी संख्या में किसी जानवर को मारा गया हो. इसके अलावा भी कई राज्यों में जानवरों को मारने की इजाजत दी गई.
ये तो सामान्य जानवर थे, जिनकी हत्या की स्वीकृति दी गई. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को मारने के बारे में भी कोई सोच सकता है?
इसी वर्ष फरवरी महीने में ही गोवा के कृषि मंत्री रमेश तवाड़कर ने राज्य में मोरों की संख्या कम करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने बंदरों और जंगली सूअरों की तरह मोरों को भी फसलों के लिए नुकसानदेह माना है.
कम होते जंगल के कारण दिन-ब-दिन इंसानों और जानवरों के बीच टकराव देखने को मिलते ही रहते हैं. लेकिन क्या इस समस्या का अब यही समाधान रह गया है कि इन बेजुबानों की हत्या कर दी जाए?
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