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राहुल गांधी का वादा- ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ क्या है? जानिए सब कुछ

यूनिवर्सल बेसिक इनकम से गरीब लोगों के जीवनस्तर में काफी हद तक बदलाव आ सकता है.

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राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की एक रैली में एक ऐसा ऐलान कर दिया है, जिसकी हर तरफ चर्चा शुरू हो चुकी है. राहुल गांधी ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के तहत हर गरीब को न्यूनतम आमदनी देने जा रही है.

गरीबों के लिए हर महीने बेसिक इनकम की गारंटी देने वाले इस वादे की पहले भी चर्चा हो चुकी है. इसके लिए कोशिशें भी हो चुकी हैं, लेकिन कभी भी ये योजना लागू नहीं हो पाई. यहां जानिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम से जुड़ी खास बातें.

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क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम का मतलब है एक ऐसी फिक्स इनकम, जो देश के सभी गरीब, अमीर, नौकरीपेशा, बेरोजगार लोगों को सरकार से मिलती है. सरकार की तरफ से इसे लेने के लिए काम करने की कोई शर्त नहीं होती है. सरकार जीवन-यापन के लिए समाज के हर व्यक्ति को एक फिक्स अमाउंट देती है.

हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने साफ किया है कि कांग्रेस सरकार की ओर से चलाई जाने वाली ये स्कीम समाज के हर वर्ग के लोगों पर लागू नहीं होगी, बल्कि इसके जरिए सिर्फ गरीबों को फायदा पहुंचाया जाएगा.

मध्य प्रदेश के इंदौर में पायलट प्रॉजेक्ट के तहत ऐसी योजना को लागू किया जा चुका है. साल 2010 से 2016 के बीच 8 गांवों के करीब 6000 लोगों पर ये स्कीम लागू की गई थी. पुरुषों और महिलाओं को 500 रुपये और बच्चों को 150 रुपये हर महीने दिए गए थे.

क्यों है UBI की जरूरत?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम से गरीब लोगों के जीवनस्तर में काफी हद तक बदलाव आ सकता है. जरूरतमंद लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पाते हैं. कुछ राज्यों में किसानों का आत्महत्या करना और बेरोजगारी भी बड़ी समस्या है. ऐसे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम जरूरतमंदों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

कितने रुपये महीना मिलने की उम्मीद?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम के तहत सरकार गरीबों को कितने रुपये महीने की मदद देगी, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इस स्कीम की चर्चा एक बार पहले लोकसभा में हो चुकी है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि देश के 10 करोड़ गरीब लोगों के अकाउंट में 3000 रुपये महीना भेजा जाना चाहिए. ऐसे देश में गरीबी खत्म हो जाएगी.

ऐसी खबर है कि 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में बीजेपी सरकार भी इस स्कीम का ऐलान कर सकती है.

इस तरह की मिलती जुलती योजना पहले से ही दुनिया के कई देशों की सरकारें चला रही हैं. इनमें ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, आयरलैंड, फिनलैंड जैसे देश शामिल हैं.

स्कीम लागू करना क्यों है चुनौतीपूर्ण?

भारत में यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लागू करना किसी भी सरकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि देश में ऐसे लाखों लोग हैं, जिनके पास कोई पहचान पत्र या बैंक अकाउंट नंबर नहीं है. ऐसे में इन लोगों की पहचान करना और उन्हें सुविधा का फायदा पहुंचाना एक लंबा प्रोसेस है.

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की कुछ खामियां भी हैं. ये बात सही है कि स्कीम लागू होने के बाद लोगों में खरीदारी क्षमता बढ़ जाएगी, लेकिन जिन लोगों को इसका फायदा नहीं मिलेगा, उनमें आक्रोश भी पैदा हो सकता है. दूसरी बात, इस योजना से लोगों में बिना मेहनत किए आमदनी हासिल होने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा.

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