चार साल पहले हरियाणा के सोनीपत में शहीद भगत सिंह पर एक फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद जब सब लोगों से पूछा गया कि वो भविष्य में क्या बनना चाहेंगे, तो एक क्लास 12 के छात्र ने खड़े होकर कहा था, "मैं बागी बनना चाहता हूं." उसके जवाब पर लोग हंसे थे और टिप्पणी की गई थीं.
इस छात्र का दोस्त अंकित कहता है, "चार साल बाद उसी लड़के शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस टॉर्चर कर रही है क्योंकि वो गरीब मजदूरों के अधिकार के लिए लड़ रहा था."
छात्र एकता मंच के सदस्य अंकित की शिव कुमार से पहली बार मुलाकात उस फिल्म स्क्रीनिंग में हुई थी. 24 साल के शिव कुमार ने तब से अब तक आईटीआई से ग्रेजुएशन पूरी कर ली है और कुंडली इंडस्ट्रियल इलाके की एक फैक्ट्री में पार्ट-टाइम नौकरी ले ली थी.
अंकित ने कहा, "वो हमेशा मजदूरों और किसानों की बात करता था, जो हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. इन दोनों वर्गों को उनकी कानूनी मजदूरी से दूर रखा गया है."
शिव कुमार को दो महीने पहले आखिरी बार सिंघु बॉर्डर पर देखा गया था. उनके दोस्त और परिवार का दावा है कि उन्हें हरियाणा पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा है. कुमार को 7 दिन बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और हिरासत में उन पर टॉर्चर किया गया.
'गैरकानूनी हिरासत, टॉर्चर': शिव कुमार की गिरफ्तारी पर कई दावे
- कुंडली स्थित मजदूर अधिकार संगठन (MAS) के अध्यक्ष शिव कुमार को सोनीपत पुलिस ने 16 जनवरी को कथित तौर पर पकड़ लिया था. ये नवदीप कौर की गिरफ्तारी के चार दिन बाद हुआ था. कौर भी इसी संगठन की सदस्य हैं.
- MAS के सदस्य कुंडली इंडस्ट्रियल इलाके के फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ मजदूरों के बकाया भुगतान के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. नवदीप कौर को 12 जनवरी को प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किया गया जबकि शिव के दोस्तों और परिवार का दावा है कि वो मौके पर मौजूद नहीं था. क्विंट ने सोनीपत के एसपी से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया. जब पुलिस जवाब देगी तो स्टोरी अपडेट की जाएगी.
- शिव कुमार के पीरा राजवीर हरियाणा के देवरू में एक मजदूर हैं. राजवीर ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की गिरफ्तारी के बारे में 31 जनवरी को पता चला, यानी कि शिव कुमार को सिंघु बॉर्डर पर आखिरी बार देखे जाने के 15 दिन बाद. उनके संगठन ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बॉर्डर पर कैंप लगाए थे. राजवीर ने कहा, "शिव के एक दोस्त के पास 31 जनवरी को एक अज्ञात इंसान का कॉल आया और उसने बताया कि वो शिव से कुंडली पुलिस स्टेशन पर मिला था. शिव ने कथित रूप से कॉलर को दोस्तों और परिवार को जानकारी देने को कहा था." राजवीर ने आखिरी बार शिव से 12 जनवरी को बात की थी और उन्हें नहीं पता था कि शिव कहां है.
- जब 1 फरवरी को राजवीर ने सोनीपत के एसपी से संपर्क किया था, तो उन्हें बताया गया था कि उनके बेटे को '23 जनवरी को गिरफ्तार' किया गया था. राजवीर को बताया गया कि शिव कुमार को 24 जनवरी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था और उसे दस दिन की कस्टडी में भेजा गया है. भारतीय कानूनों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है.
- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में शिव कुमार की गिरफ्तारी की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली एक याचिका कहती है कि 24 जनवरी को कुछ पुलिस अधिकारी शिव के घर गए थे और उनकी मां से पूछा था कि शिव कहां है. याचिका कहती है कि पुलिस ने मां से शिव को जल्दी से जल्दी पेश करने को कहा था और किसी पेपर पर उनके साइन लिए थे और कहा कि ये औपचारिकता है. याचिका में कहा गया कि शिव कुमार की मां 9वीं क्लास तक पढ़ी हैं और मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं, जिसके लिए उनका इलाज चल रहा है. इसलिए उन्हें अपने साइन करने का मतलब नहीं पता था.
- राजवीर कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे से एक बार भी मिलने नहीं दिया गया है. वो कहते हैं, "कई बार पुलिस कहती है कि वो क्वॉरंटीन में है, कई बार कुछ और वजहें दी जाती हैं. फिर कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मैंने अपने बेटे को 40 दिन बाद तब देखा, जब उसे चंडीगढ़ में मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए ले जा रहे थे."
- 4 फरवरी को राजवीर को एक चिट मिली, जो जेल से बाहर लाई गई थी. इस पर शिव कुमार ने एक छोटा सा नोट लिखा था कि उन्हें 16 जनवरी को सिंघु पर KFC के पास से पकड़ा गया था और CIA-7 में रखा गया था, जहां उन्हें कथित रूप से टॉर्चर किया गया था.
- शिव कुमार के वकीलों का दावा है कि वो मेडिकल टेस्ट से संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि उन्होंने शिव के शरीर पर गंभीर चोट के निशान देखे हैं. इसलिए उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से अपील की थी. कोर्ट ने चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में मेडिकल टेस्ट करने के निर्देश दिए थे. इस रिपोर्ट के नतीजे कोर्ट के सामने 24 फरवरी को देखी किए जाएंगे. इस दिन शिव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी.
'गर्व है कि बेटा गरीबों के अधिकार के लिए लड़ता है'
राजवीर कहते हैं कि वो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए ताकतवर व्यक्तियों के खिलाफ बोलने का अंजाम जानते हैं लेकिन वो अपने बेटे को जेल से बाहर आने पर भी नहीं रोकेंगे.
राजवीर ने कहा, "मेरा बेटा पढ़ाई में काफी अच्छा था लेकिन उसे आंख में दिक्कत हो गई थी जब वो छोटा था तो पढ़ाई पूरी नहीं कर सका. वो परिवार का पेट पालने के लिए फैक्ट्री में काम करने लगा."
शिव कुमार के पिता कहते हैं कि 'किसी को गरीबों के लिए आवाज उठानी पड़ेगी. मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने ऐसा करने का जिम्मा उठाया है, चाहे वो किसी भी कीमत पर हो.'
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)