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क्विंट हिंदी में छपे लेख को लेकर आपस में टकराए लालू और सुशील मोदी

आरजेडी प्रमुख लालू ने क्विंट हिंदी पर छपे एक लेख को साझा किया जिसकी हेडलाइन थी ‘‘भाजपा लालू से इतना क्यों डरती है"

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चारा घोटाला मामलों में सजा काट रहे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के उपमुख्यमंत्री और सीनियर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी के बीच बुधवार को ट्विटर पर जुबानी जंग छिड़ गई. इस टकराव की शुरुआत लालू यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल की एक पोस्ट से हुई.

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आरजेडी प्रमुख लालू ने क्विंट हिंदी पर छपे एक लेख को साझा किया जिसकी हेडलाइन थी ‘‘बीजेपी लालू से इतना क्यों डरती है'' . इस लेख को लालू ने ट्विटर पर रिट्वीट करते हुए लिखा....

क्योंकि मैं इनके दुष्प्रचार,लालच, प्रतिशोध, प्रताड़ना और किसी प्रकार की ब्लैकमेलिंग से नहीं डरता. क्योंकि इनकी जातिवादी, नफरतवादी, संविधान व इंसान विरोधी जहरीली राजनीति का सबसे मुखर विरोधी हूं. सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकता चाहे क्यों ना फाँसी हो जाए.
लालू प्रसाद यादव ने क्विंट हिंदी को रिट्वीट करते हुए ये लिखा

लालू की इस टिप्पणी के बाद सुशील कुमार मोदी ने ट्विटर ही लिखा, “लालू प्रसाद 30 साल से संघ- बीजेपी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं. वे अल्पसंख्यकों को डरा कर वोट लेते रहे. सम्पत्ति का लालच इतना कूट-कूट कर भरा है कि चारा घोटाला से लेकर होटल घोटाला तक कर डाला. प्रतिशोध लेने के लिए उनके राज में सैकड़ों लोग मारे गए और ब्लैकमेलिंग के बल पर बिहार में अपहरण उद्योग पनपा. वे किस सिद्धांत की बात कर रहे हैं. जेपी-लोहिया के सिद्धांतों को छोड़ कर स्वार्थों से समझौता करते समय तो वे फांसी पर नहीं चढ़े. ”

सुशील मोदी के इस ट्वीट के बाद दोनों पक्ष के समर्थक सोशल मीडिया पर एक दूसरे को ट्रोल करने की कोशिश में लग गए. आप चाहें तो क्विंट हिंदी पर छपा वो आर्टिकल यहां पढ़ सकते हैं.

आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी ने 1970 के दशक में ‘‘जेपी आंदोलन'' में साथ-साथ भाग लिया था. उस समय उपमुख्मंत्री पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव और लालू इसके अध्यक्ष थे.

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