ऐसा पहली बार हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. चारों जजों ने कहा कि किसी भी देश के कानून के इतिहास का ये बहुत बड़ा दिन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासनिक कार्य ठीक से नहीं हो रहा है. जजों के मुताबिक उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया इसलिए मीडिया के सामने आना पड़ा.” जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए.
चारों जजों के इस बहुत बड़े खुलासे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को बुलाया है और दोनों के बीच मीटिंग चल रही है.
चीफ जस्टिस को भेजी गई चिट्टी
जजों ने कहा कि, “हमने एक साथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बताने की कोशिश की कि कुछ चीजें ठीक नहीं चल रही हैं और उन्हें ठीक करने के लिए कदम उठाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हमारी कोशिश फेल हो गई”.
चिट्ठी में लिखा है कि सिद्धांत यही है कि चीफ जस्टिस के पास रोस्टर बनाने का अधिकार है. वह तय करते हैं कि कौन सा केस किस कोर्ट में कौन देखेगा. यह विशेषाधिकार इसलिए है, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चल सके लेकिन इससे चीफ जस्टिस को उनके साथी जजों पर कानूनी, तथ्यात्मक और उच्चाधिकार नहीं मिल जाता. इस देश के न्यायशास्त्र में यह स्पष्ट है कि चीफ जस्टिस अन्य जजों में पहले हैं, बाकियों से ज्यादा या कम नहीं. चिट्ठी के मुताबिक ऐसे भी कई मामले हैं , जो देश के लिए बहुत ही जरूरी हैं. लेकिन, चीफ जस्टिस ने उन मामलों को तार्किक आधार पर देने की बजाय अपनी पसंद वाली बैंच को सौंप दिया.इसे किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए.
एटॉर्नी जनरल से मिले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा
‘चीफ जस्टिस पर देश को फैसला करना है’
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा हम देश के लिए अपना फर्ज अदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यायिक अनियमितताओं पर हमने चीफ जस्टिस से बात की थी. लेकिन उस पर कुछ नहीं हुआ. मीडिया के सामने आने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.
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