भले ही भारत में 66 फीसदी लोगों को लगता है कि उनके माता-पिता के वक्त की तुलना में लैंगिक समानता के मामले में सुधार हुआ है, लेकिन यहां की कामकाजी महिलाएं अभी भी एशिया पैसिफिक देशों में सबसे ज्यादा लैंगिक भेदभाव का सामना कर रही हैं. मंगलवार को जारी हुई लिंक्डइन की ऑपर्च्युनिटी इंडेक्स 2021 रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 85 फीसदी भारतीय कामकाजी महिलाओं का दावा है कि उन्होंने अपने जेंडर की वजह से प्रमोशन या काम के मौके गंवाए हैं, जबकि इस मामले में क्षेत्रीय औसत 60 फीसदी का है.
दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन प्रोफेशनल नेटवर्क लिंक्डइन ने 26 से 31 जनवरी के बीच यह सर्वे करने की जिम्मेदारी इंडिपेंडेंट मार्केट रिसर्च फर्म GfK को दी थी. इस ऑनलाइन सर्वे में 18 से 65 साल की उम्र तक के लोगों ने हिस्सा लिया.
सर्वे में एशिया प्रशांत क्षेत्र से ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, मलेशिया, फिलीपींस और सिंगापुर के 10000 से ज्यादा लोगों ने जवाब दिए. भारत में 2285 लोग इस सर्वे में शामिल हुए, जिनमें 1223 पुरुष और 1053 महिलाएं थीं.
सर्वे के मुताबिक, भारत की 37 फीसदी कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं, हालांकि केवल 25 फीसदी पुरुष ही इस बात से सहमत हैं. 37 फीसदी महिलाओं का यह भी कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है.
अपने करियर में आगे बढ़ने के मौकों को लेकर नाखुश होने के कारण के बारे में पूछे जाने पर, भारत में 22 फीसदी कामकाजी महिलाओं ने कहा कि उनकी कंपनियां काम पर पुरुषों के प्रति 'अनुकूल पूर्वाग्रह' का प्रदर्शन करती हैं. जबकि इस मामले में क्षेत्रीय औसत 16 फीसदी का है.
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