प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस की गंभीरता को देखते हुए 21 दिन के लॉकडाउन का बड़ा फैसला लिया है, लेकिन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि ये पर्याप्त नही हैं.
ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में राजन ने कहा कि ये चिंता की बात है क्योंकि लॉकडाउन सिर्फ लोगों को काम पर जाने से ही नहीं रोकता. ये उन्हें घर पर ही रोके रखता है और ऐसा जरूरी नहीं है कि घर दूर-दूर ही हों, झुग्गी झोपड़ी भी हो सकते हैं, जहां सभी लोग एक साथ रहते हैं.
राजन ने ये भी कहा कि इस लॉकडाउन से गरीबों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है और भारत के कमजोर बुनियादी ढांचे की वजह से उनकी जिंदगी में मुश्किलें आएंगी.
अबतक 15 से ज्यादा की हो चुकी है मौत
ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोनावायरस से देशभर में अबतक 15 मौत हो चुकी है. करीब 700 केस सामने आ चुके हैं. ऐसे में हर राज्य ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है और कारोबार तकरीबन बंद है. बता दें कि कोरोनावायरस के अभूतपूर्व संकट से प्रभावित गरीबों, मजदूरों और किसानों को सरकार ने राहत देने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण स्कीम के तहत गरीबों को कैश ट्रांसफर किया जाएगा. साथ ही कोरोनावायरस से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख रुपए का बीमा कवर देने का ऐलान किया गया है. . इस योजना से 20 लाख स्वास्थ्यकर्मी कवर हो सकेंगे.
कोरोनावायरस से लड़ने में राष्ट्रों के बीच समन्वय की कमी के बारे में राजन कहते हैं कि ये कुछ हद तक समझ में आता है क्योंकि किसी भी देश की सरकार पहले अपने देश के लिए मेडिकल सप्लाई की व्यवस्था करेगी. उसके बाद दूसरे देश के बारे में सोचेगी. राजन कहते हैं कि इस महामारी को पूरी दुनिया से मिटा देना ही होगा क्योंकि ये कभी भी दोबारा कहर बरपा सकती है.
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