विपक्षी दल INDIA गुट ने चुनावी माहौल के बीच जाति और समाजिक न्याय की बातें कर जाति जनगणना (Caste Census) के मुद्दे को हवा दी. बीजेपी (BJP) ने इस मुद्दे का काट यूं निकाला कि उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह हिंदू ओबीसी और एससी से आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे देंगे.
लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में ओबीसी, एससी और आदिवासी समुदाय ने किसे वोट किया?
लोकनीति-सीएसडीएस (Lokniti- CSDS) ने द हिंदू में चुनाव के बाद एक सर्वे जारी किया है. सर्वे के इन आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव में इंडिया ब्लॉक को प्रभावशाली ओबीसी और कुछ हद तक दलितों के वोट से बढ़त मिली वहीं दूसरी ओर, एनडीए ने सफलता की सीढ़ी आदिवासियों में विश्वास के बलबूते और उच्च जातियों के बीच अपना प्रभुत्व बनाए रखकर चढ़ी.
INDIA ब्लॉक की बढ़त के पीछे कौन?
सीएसडीएस सर्वे के मुताबिक, 2019 में प्रभावशाली ओबीसी वर्ग का समर्थन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के लिए 24 प्रतिशत था जो 2024 में बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया है. इस ओबीसी वर्ग में यादव, कुर्मी और जाट (उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में) शामिल हैं.
वहीं लोअर ओबीसी वर्ग में यह बढ़त 2019 में 18 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 25 प्रतिशत हो गई. इस वर्ग में कांग्रेस के सहयोगियों को कांग्रेस से थोड़ा ज्यादा फायदा हुआ. दलितों में भी सहयोगियों को कांग्रेस से ज्यादा मुनाफा पहुंचा. कांग्रेस के लिए दलितों की पसंद 20 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत हो गई, जबकि उसके सहयोगियों के बीच यह 5 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत हो गई.
यहां तक कि एक्सिस-माई इंडिया सर्वे, जिसकी चुनाव में बीजेपी को बहुमत दिलाने के गलत एग्जिट पोल को लेकर आलोचना हुई थी, उसने भी दलितों के बीच विपक्ष के लिए बढ़त की भविष्यवाणी की थी.
कांग्रेस और सहयोगी दलों ने उच्च जातियों के बीच मामूली बढ़त हासिल की, जो 2019 में 18 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 21 प्रतिशत हो गई. लेकिन इस वर्ग में यह एनडीए से बहुत बड़े अंतर से पीछे थी. हालांकि, आदिवासियों के बीच गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा और यह 37 प्रतिशत से घटकर 31 प्रतिशत पर पहुंच गया.
एनडीए का प्रदर्शन कैसा रहा?
एनडीए ने 2024 के चुनाव में आदिवासियों के बीच काफी बढ़त हासिल की. यह आंकड़ा 2019 में 45 प्रतिशत से बढ़कर इस बार 51 प्रतिशत हो गई. पार्टी ने कमोबेश उच्च जातियों के बीच 50 प्रतिशत से अधिक की अपनी पकड़ बनाए रखी. लेकिन निम्न ओबीसी के बीच इसका वोट शेयर पिछली बार जितना ही रहा.
हालांकि, एनडीए को प्रभावशाली ओबीसी और दलितों के खेमे से बेहद घाटा हुआ. दलितों के बीच गठबंधन का वोट शेयर 2019 में 41 प्रतिशत से घटकर 2024 में 36 प्रतिशत हो गया. वहीं ओबीसी में यह आंकड़ा 52 प्रतिशत से घटकर 48 प्रतिशत हो गया.
राज्यवार कैसे बंटा वोट शेयर?
लोकनीति- CSDS के आंकड़ों के मुताबिक, इंडिया ब्लॉक को उत्तर प्रदेश में यादवों के बीच 82 प्रतिशत और बिहार में 73 प्रतिशत का समर्थन मिला. यह इंडिया ब्लॉक के लिए प्रभावशाली ओबीसी के बीच समर्थन में बढ़त को दिखाता है.
गठबंधन ने हिंदी पट्टी के दो प्रमुख राज्यों में दलितों के बीच भी अच्छा प्रदर्शन किया. सर्वे के अनुसार, गैर-जाटव दलितों में से 56 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में इंडिया ब्लॉक को वोट दिया, जो एनडीए को हासिल 29 प्रतिशत और बीएसपी को हासिल 15 प्रतिशत दोनों से काफी आगे है.
हालांकि बिहार में दलितों के बीच इंडिया ब्लॉक एनडीए से पीछे रह गया, लेकिन 2019 चुनाव की तुलना में इंडिया ब्लॉक ने इस वर्ग में बड़ी बढ़त हासिल की .
पासी/दुसाध समुदाय में आरजेडी की नेतृत्व वाली गठबंधन के लिए समर्थन 2019 में महज 7 प्रतिशत से बढ़कर 2024 चुनाव में 35 प्रतिशत हो गया, जबकि अन्य अनुसूचित जातियों में यह समर्थन 2019 में 4 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया.
बिहार में एनडीए ने उच्च जातियों और कुर्मी-कोइरी ओबीसी मतदाताओं के बीच अपना प्रभुत्व बनाए रखा.
महाराष्ट्र में एनडीए को मराठों में सात प्रतिशत अंकों की मामूली बढ़त मिली थी, जबकि ओबीसी में उसे 11 प्रतिशत अंकों से थोड़ी अधिक बढ़त मिली थी.
हालांकि, इंडिया ब्लॉक को दलितों में 11 प्रतिशत अंकों की बढ़त मिली थी और आदिवासियों में 20 प्रतिशत अंकों की, जिसने गठबंधन को हालिया लोकसभा चुनाव में विपक्ष को कड़ी टक्कर देने में अहम भुमिका निभाई थी.
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