Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने दो-दो सीट से लोकसभा चुनाव जीता है- उत्तर प्रदेश की रायबरेली में 3.9 लाख से अधिक वोटों से और केरल के वायनाड में लगभग 3.5 लाख वोटों से जीत हासिल की है. ऐसे में मतदाताओं, राजनीतिक विश्लेषकों और कांग्रेस नेताओं के मन में सवाल है - वह कौन सी सीट चुनेंगे?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के शानदार प्रदर्शन के बाद- जहां उसने 80 में से 43 सीटें जीतीं - पार्टी के नेताओं और राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गांधी के लिए अपने परिवार के किले, रायबरेली को बरकरार रखना अधिक विवेकपूर्ण होगा.
केरल के एक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक जैकब जॉर्ज का कहना है, "एक राष्ट्रीय नेता के रूप में, यह बेहतर होगा कि राहुल रायबरेली को चुनें, जो उत्तर भारत का राजनीतिक हॉटस्पॉट है."
ध्यान रहे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस द्वारा जीती गई एकमात्र सीट रायबरेली थी. यह सीट दशकों से गांधी परिवार में है. इस बार, पार्टी ने राज्य में अपनी सीटें बढ़ाकर छह कर लीं है, जिसमें अमेठी भी शामिल है. इस सीट पर 2019 में राहुल गांधी बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से हार गए थे. इसके बाद राहुल कांग्रेस के गढ़ वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे थे.
4 जून को चुनाव नतीजों के बाद जारी एक वीडियो बयान में राहुल ने कहा कि अगर संभव होता तो वह दोनों सीटें बरकरार रखते. लेकिन अगर उन्होंने रायबरेली को चुना तो वायनाड का क्या होगा?
'हम चाहते हैं कि प्रियंका चुनाव लड़ें'
अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर राहुल गांधी वायनाड सीट खाली करते हैं तो उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा इस सीट से चुनाव लड़ सकती हैं.
वायनाड जिला कांग्रेस अध्यक्ष एनडी अप्पाचन ने द क्विंट से कहा, "हम चाहते हैं कि राहुल गांधी यहीं रहें, लेकिन उत्तर भारत में स्थिति बदल गई है, इसलिए रायबरेली को बनाए रखना पार्टी के लिए अच्छा हो सकता है. हम इससे नाखुश नहीं हैं."
उन्होंने कहा, "शायद प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़ सकती हैं. अभी कुछ तय नहीं हुआ है, इस पर अभी भी कांग्रेस आलाकमान चर्चा कर रहा है. लेकिन अगर राहुल गांधी यह सीट खाली करते हैं तो हम चाहेंगे कि प्रियंका यहां से चुनाव लड़ें. मैं बस अपनी नीजि राय बता रहा."
जॉर्ज ने कहा, "बेशक, अगर प्रियंका यहां से चुनाव लड़ती हैं, तो वह आसानी से जीत जाएंगी. वायनाड के लोग खुश होंगे और उनका स्वागत करेंगे. प्रियंका राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कांग्रेस के लिए एक उपयुक्त विकल्प होंगी."
वायनाड के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया:
"वायनाड ने उन्हें जरूरत पड़ने पर समर्थन दिया है. इसलिए, वह वायनाड के लोगों को यूं ही नहीं छोड़ देंगे. जनता के बीच चर्चा है कि प्रियंका यहां से चुनाव लड़ेंगी. यही उनकी इच्छा है."
वायनाड संसदीय क्षेत्र में वायनाड जिले की तीन, मलप्पुरम जिले की तीन और कोझिकोड जिले की एक विधानसभा सीटें शामिल हैं. इसमें आदिवासियों और अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी है और इसे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का गढ़ माना जाता है. इसमें इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग (कांग्रेस सहयोगी) की मजबूत उपस्थिति है, जिसने राहुल की जीत सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वायनाड केरल का एक नया निर्वाचन क्षेत्र है. यहां पहली बार 2009 में चुनाव हुआ. कांग्रेसी नेता एमआई शनावास इसके पहले सांसद थे. 2014 में उन्होंने फिर से जीत हासिल की लेकिन 2018 में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया.
2019 में, जब राहुल गांधी ने वायनाड को अपनी सुरक्षित सीट के रूप में चुना, तो उन्होंने 4 लाख से अधिक वोटों के भारी बहुमत से जीत हासिल की. हालांकि इस बार कई फैक्टर के कारण उनका मार्जिन कम हुआ है, फिर भी यह एक बड़ी जीत है, जिससे यह सीट कांग्रेस के लिए जरूरी हो गई है.
क्विंट ने पहले बताया था कि कैसे कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने सुझाव दिया था कि अगर प्रियंका उप-चुनाव लड़ती हैं (यदि राहुल ने सीट खाली की तो) केरल में वायनाड सीट पर कांग्रेस में संभावित अंदरूनी कलह से बचा जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, वायनाड में प्रियंका की उम्मीदवारी से 2026 के केरल विधानसभा चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी की संभावना भी बढ़ सकती है.
अगर गांधी परिवार का कोई नहीं तो फिर कौन?
राहुल गांधी के संभावित रिप्लेसमेंट के रूप में राजनीतिक गलियारों में एक और नाम के. मुरलीधरन का चल रहा है. केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरण के बेटे मुरलीधरन को इस बार त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया था.
मुरलीधरन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 'जाइंट हंटर' (जो बड़े नेताओं को हरा दे) के रूप में मशहूर हैं. कांग्रेस ने बीजेपी के सुरेश गोपी को हराने के लिए मुरलीधरन पर अपनी उम्मीदें लगा रखी थीं. सुरेश गोपी चुनावों से पहले त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल कर रहे थे. मुरलीधरन न केवल गोपी को हराने में असफल रहे, वह सीपीआई के वीएस सुनील कुमार के बाद तीसरे स्थान पर भी रहे. सुरेश गोपी ने जीतकर बीजेपी को केरल की पहली सीट दिलाई है.
जॉर्ज ने कहा, "त्रिशूर में अपनी हार के बाद, मुरलीधरन बहुत दुखी और चिंतित हैं. चूंकि वायनाड कांग्रेस का गढ़ है, इसलिए उन्हें पार्टी द्वारा चुना जा सकता है."
मुरलीधरन ने 1999 में कोझिकोड के सांसद के रूप में काम किया. उस समय वायनाड कोझिकोड संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था.
जॉर्ज ने कहा, "इस बीच, कई मुस्लिम संगठनों ने पार्टी से सिफारिश की है कि संसद में मुस्लिम प्रतिनिधित्व जिस तरह घट रहा है, इसे देखते हुए एक मुस्लिम उम्मीदवार निर्वाचन क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त होगा. और यह एक वैध मांग है।"
IUML नेता पीके कुन्हालीकुट्टी ने पहले कहा था कि राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले से INDIA मोर्चे की संभावनाओं को बल मिलेगा.
एनी राजा के बारे में क्या?
सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने इस बार राहुल गांधी के खिलाफ वरिष्ठ सीपीआई नेता एनी राजा को मैदान में उतारा था. वायनाड में INDIA गुट के दो साझेदारों ने एक-दूसरे के खिलाफ दो राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारा जिससे चुनाव प्रचार के दौरान तल्खी दिखी. लेकिन चुनावी तौर पर कहें तो, इसने राहुल के वोट शेयर में केवल न्यूनतम सेंध लगाई.
हालांकि, केरल में राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय थी कि एनी राजा, राहुल की प्रबल प्रतिद्वंद्वी थीं और उनकी राष्ट्रीय प्रमुखता के बावजूद उन्हें "जमीन से जुड़ा हुआ" बताया गया.
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, "यह उनके लिए एक ऐतिहासिक मुकाबला था, हालांकि बराबरी का नहीं. वायनाड में यूडीएफ का दबदबा है. लेकिन यह पहली बार है कि वायनाड के लोगों को एनी राजा की क्षमता के बारे में पता चला."
जॉर्ज ने द क्विंट को बताया, "अगर INDIA फ्रंट सत्ता में आता, तो एनी राजा की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका होती. उनके अभियानों ने साबित कर दिया कि वह एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी हैं, भले ही वह सीपीआई के वोट शेयर को मामूली रूप से बढ़ाने में कामयाब रहीं."
ऐसी भी अटकलें हैं कि राजा को राज्यसभा भेजा जा सकता है.
केरल में राज्यसभा की तीन सीटें खाली होने पर जल्द ही चुनाव होंगे. केरल कांग्रेस के जोस के मणि, सीपीआई नेता बिनॉय बिस्वाम और सीपीआई (एम) नेता एलामाराम करीम का कार्यकाल 1 जुलाई को समाप्त हो जाएगा.
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