ADVERTISEMENTREMOVE AD

तस्वीरों में: जब अंग्रेजों ने भारतीयों को जाति के चश्मे से देखा

ब्रिटिश राज के दौरान खींची गई भारतवासियों की कुछ खास तस्वीरें.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अंग्रेजों और भारत में उनके राज को लेकर लोगों में गजब की उत्सुकता देखी जाती है. कसौली से लेकर शिमला तक लोग अंग्रेजी राज के बंगलों के साथ सेल्फी खिंचाकर फेसबुक पर चिपकाते रहते हैं. लेकिन एक ऐसा जमाना भी था, जब अंग्रेज अपने घर ब्रिटेन जाते वक्त इंडियंस की तस्वीरें साथ ले जाते थे.

बात उस जमाने की है, जब भारत के गवर्नर लॉर्ड कैनिंग थे. उनकी पत्नी ब्रिटेन जाते वक्त अपने साथ भारत की तस्वीरें ले जाना चाहती थीं, तो कैनिंग साहब ने भारत की विभिन्न जातियों के लोगों की तस्वीरेें खिंचवाने का काम शुरू किया.

1857 की क्रांति से पहले ये काम शुरू किया गया. लेकिन क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार को ये तस्वीरें काफी पसंद आईं. इन तस्वीरों से ब्रिटिश राज की प्रजा को समझने में सहायता मिली.

आखिरकार ये तस्वीरें 1868 से 1875 के बीच पीपुल ऑफ इंडिया नाम से प्रकाशित हुईं.

कलबेलिया और संपेरों को भारत में आमतौर पर हर जगह पाई जाने वाली जाति बताया गया. इन्हें अपने परिवारों को साथ लेकर घूमने वाली जाति समझा जाता था.

नेपाल की गूरुंग जनजाति को सैन्य जनजाति माना जाता था, जबकि वे ठाकुरों और खुसों से छोटे माने जाते थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ब्रिटिश अधिकारियों ने रेनेग्मा नागा जनजाति को भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से की प्रमुख जाति माना.

भट्ट जाति के लोगों को एंटरटेनर्स के रूप में ख्याति प्राप्त थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बाजार में काम करने वाली महिलाएं : दिवाली के दौरान बाजारों में जब शाही खानदान की महिलाओं की तरफ से सामान का मोलभाव होता था, तो ये ही महिलाएं सही कीमत पर सौदा पूरा करती थीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

श्रॉफ जाति को साहूकारों की जाति माना गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सोधी सिख जाति को गुरु रामदास का वंशज माना गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिंदुओं की एक ऐसी जाति, जो हर वक्त युद्ध के लिए तैयार रहती थी, इसे क्षत्रिय माना गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अंतिम तस्वीर, जो किताब पढ़ रहा है, उसे ब्राह्मण कहा गया. ये तस्वीरें ये बताती हैं कि भारत की विभिन्न जातियों को अंग्रेजों ने किस तरह देखा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×