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MP में बिगड़ा कारोबारियों का मूड: BJP को समर्थन की गारंटी नहीं

चुनाव से पहले जानें- क्या है भोपाल, इंदौर और उज्जैन की जनता का मूड

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नोटबंदी और महंगे पेट्रोल-डीजल से परेशान मालवा के दुकानदारों का गुस्सा क्या वोटिंग मशीन में भी दिखेगा? मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार की वापसी के लिए बीजेपी को मालवा से भारी समर्थन की जरूरत होगी.

मालवा बरसों से बीजेपी का गढ़ है, लेकिन इस बार हालात पहले से अलग हैं. लोगों की नाराजगी दिख रही है, जिसे भुनाने के लिए कांग्रेस ने अपनी ताकत इलाके में झोंक दी है. चुनाव का एक्शन शुरू होने के बाद क्विंट ने सबसे पहले भोपाल, उज्जैन और इंदौर की जनता का मूड जाना, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं, जो बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के लिए सिरदर्द हो सकती हैं.
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बीजेपी का गढ़ मालवा

इस इलाके में 48 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 44 सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं.

  • इंदौर- विधानसभा की 9 सीट में से 8 बीजेपी के पास
  • नीमच- सभी 3 विधानसभा सीट बीजेपी के पास
  • मंदसौर- 4 विधानसभा सीट में 3 बीजेपी के पास
  • धार- 7 विधानसभा सीट में 5 बीजेपी के कब्जे  में
  • उज्जैन- सभी 7 सीटें बीजेपी के ही पास
  • रतलाम- सभी 5 सीटें बीजेपी के पास
  • झाबुआ- सभी 3 सीटें बीजेपी की झोली में
  • देवास- सभी 5 सीटें बीजेपी के पास
  • शाजापुर- सभी तीनों सीट बीजेपी के पास
  • आगर- दोनों बीजेपी के पास
चुनाव से पहले जानें- क्या है भोपाल, इंदौर और उज्जैन की जनता का मूड

इंदौर के किले में दरार

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर बीजेपी का अभेद्य किला माना जाता है. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन यहां से लगातार 5 बार से जीत रही हैं. इंदौर के दुकानदारों के मुताबिक, वो अभी तक नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबर नहीं पाए हैं. ज्यादातर इसी बात से नाराज हैं और ये गुस्सा शिवराज चौहान के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. लेकिन उनकी शिकायत यही है कि कांग्रेस ने अपना नेता अभी तक घोषित नहीं किया है.

लेकिन इंदौर में कपड़े का कारोबार करने वाले जीतन चौहान कहते हैं:

बीजेपी के अलावा हमारे पास दूसरा विकल्प क्या है. कांग्रेस के पास चेहरा कहां है? जनता को कुछ परेशानियां तो हैं, लेकिन बीजेपी नहीं, तो किसे वोट दें?
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लेकिन दूसरे कारोबारी रमेश सिंह बीजेपी से काफी नाराज हैं. उनके मुताबिक, नोटबंदी के बाद उनका बिजनेस तबाह हो गया. वो कहते हैं, ‘’हमें न कांग्रेस चाहिए, न बीजेपी, बल्कि दिल्ली की केजरीवाल जैसी सरकार चाहिए.’’

महाकाल का शहर उज्जैन

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन को सत्ता की चाबी माना जाता है. उज्जैन की अहमियत इसी बात से लगाई जा सकती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अक्सर महाकाल के दरबार में हाजिरी देने आते हैं. मालवा इलाके में आने वाले ज्यादातर छोटे-बड़े नेता महाकाल के दर्शन करने जरूर आते हैं.

उज्जैन के एक छोटे दुकानदार गौरव गुप्ता राज्य सरकार के काम से तो संतुष्ट हैं, पर सरकार से उनकी यही मांग है कि युवाओं के रोजगार के लिए सरकार को युद्धस्तर पर कदम उठाना चाहिए. गौरव की शिकायत है कि आसपास नौकरियां नहीं हैं, इसलिए युवाओं को इसके लिए बाहर जाना पड़ता है,

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गौरव गुप्ता,  दुकानदार
(फोटो: क्विटः
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उज्जैन की एक मस्जिद की देख-रेख करने वाले छोटू खान को राज्य सरकार के कामकाज से ज्यादा परेशानी नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि गोतस्करी के नाम पर होने वाली लिंचिंग पर तुरंत लगाम लगनी चाहिए.

शिवराज सरकार तो अच्छा काम कर रही है. बिजली के बिल माफ किए, लड़कियों की शादियां कराईं और सड़कें बनाईं. लेकिन जब गाय के नाम पर लिंचिंग की खबरें सुनने को मिलती हैं, तो मन विचलित होने लगता है. 
छोटू खान
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क्या कहते हैं भोपाली

लेकिन राजधानी भोपाल में छोटे दुकानदार हामिद खान इस बात से बेहद नाराज हैं कि पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर की महंगाई की वजह से उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा उसमें चला जाता है.

हम तो इस बार कांग्रेस को मौका देंगे, शिवराज सरकार ने गरीबों की कब्र खोद दी है. हर चीज महंगी हो गई है. पेट्रोल-डीजल, सिलेंडर सब महंगा है. हम गरीब लोग कहां जाएं. किसान मर रहे हैं, सरकार उनका कर्ज तक माफ नहीं कर रही है. 
हामिद खान, दुकानदार

भोपाल में फल बेचने वाले रफीक खान के मुताबिक, वो अभी तक नोटबंदी की मार से नहीं उबर पाए हैं. नोटबंदी की ऐसी मार पड़ी कि उनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है, दो साल बाद भी वो आज तक नहीं उबर पाए हैं.

नोटबंदी से कई महीनों तक हमारे लिए भुखमरी की हालत हो गई थी. बहुत मुश्किल से हालात थोड़े ठीक हुए हैं, लेकिन अभी भी हमारा धंधा पहले जैसे नहीं चल रहा है. ऊपर से महंगाई ने और मुश्किल कर दी है. पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. 
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राफिक खान
(फोटो: द क्विंट)

मध्य प्रदेश की जनता से बात करके ये अंदाजा लग रहा है कि शिवराज चौहान और बीजेपी के लिए मामला एकतरफा नहीं है. मालवा बीजेपी का परंपरागत गढ़ है और यहां लोगों की प्रतिक्रिया से लग रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी, दोनों में कांटे का मुकाबला है. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को वोटिंग है और काउंटिंग 11 दिसंबर को होगी.

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