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MP के थाने में पत्रकार के कपड़े उतरवाने पर भड़का एडिटर्स गिल्ड, बताया अमानवीय

Editors Guild ने गृह मंत्रालय से पत्रकारों, नागरिक समाज के खिलाफ पुलिस की ज्यादतियों पर तत्काल संज्ञान लेने को कहा

Published
भारत
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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने मध्य प्रदेश के सीधी (Madhya Pradesh Sidhi) में एक पत्रकार और अन्य सात थिएटर आर्टिस्ट्स को पुलिस थाने के अंदर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किये जाने पर निंदा करते हुए अपनी नाराजगी जताई है.

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एडिटर्स गिल्ड ने शुक्रवार, 8 अप्रैल को प्रेस रिलीज कर कहा कि "पुलिस और स्थानीय प्रशासन की पत्रकारों पर बेशर्मी से हमला करने और डराने-धमकाने की बढ़ती प्रवृत्ति बेहद परेशान करने वाली है". इसमें मांग की गयी है कि इन कार्यवाइयों की जांच की जानी चाहिए.

"किसी भी स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने के प्रयास में पत्रकारों, स्ट्रिंगरों और जिला पत्रकारों के साथ जिस तरह अक्सर अमानवीय व्यवहार किया जाता है, यह गंभीर चिंता का विषय है"
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ओडिशा के बालासोर जिले में एक पत्रकार पर कथित हमले की भी निंदा की है.

प्रेस रिलीज के अनुसार एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पत्रकारों और नागरिक समाज के सदस्यों के खिलाफ पुलिस की ज्यादतियों का तत्काल संज्ञान लेने और सभी स्तर पर लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों को लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए सख्त निर्देश जारी करने का आग्रह किया है.

क्या है पूरा मामला ?

क्विंट से बातचीत के दौरान कनिष्क ने बताया कि ये तस्वीर 2 अप्रैल की है और सीधी के कोतवाली थाने के अंदर ली गई थी.

"2 अप्रैल को कोतवाली पुलिस ने सीधी के एक रंगकर्मी नीरज कुंदेर को फर्जी आईडी बनाकर सीधी विधायक के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आधार पर गिरफ्तार किया और उनको जेल भेज दिया. इस बात का पता जब उनके घरवालों और शुभचिंतकों को लगा तो वो लोग जानकारी लेने के लिए थाने पहुंचे, जहां पर मैं भी इस खबर को कवर करने पहुंचा. कोतवाली पुलिस ने जो लोग नीरज कुंदेर के बारे में जानकारी लेने पहुंचे थे उनके साथ मुझे भी गिरफ्तार कर लिया और थाने में ले जाकर मारपीट की."
कनिष्क तिवारी

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