ADVERTISEMENTREMOVE AD

तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटना अपमान नहीं: मद्रास हाई कोर्ट

कोर्ट ने राष्ट्रवाद पर बात करते हुए रबींद्रनाथ टैगोर को कोट किया

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मद्रास हाई कोर्ट ने 22 मार्च को एक महत्वपूर्ण आदेश पास किया. बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि तिरंगा और अशोक चक्र के डिजाइन वाला केक काटना 'अदेशभक्तिपूर्ण' और राष्ट्रीय गौरव का अपमान निवारण कानून 1971 के तहत 'अपमान' भी नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हाई कोर्ट ने डी सेंथिलकुमार नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई की थी. सेंथिलकुमार ने आरोप लगाया था कि तिरंगा जैसा दिखने वाला केक काटना राष्ट्रीय गौरव का अपमान निवारण कानून 1971 के सेक्शन 2 के तहत अपराध है. सेक्शन 2 में तिरंगे और संविधान के अपमान के मामले में 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है.

क्या था केस?

2013 में एक क्रिसमस इवेंट के दौरान 6×5 फीट का तिरंगा और अशोक चक्र के डिजाइन वाला केक काटा गया था और इसे 2500 से ज्यादा लोगों ने खाया भी था. इस इवेंट में कोयम्बटूर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, पुलिस डिप्टी कमिश्नर, कई धार्मिक नेता और NGO सदस्य शामिल हुए थे. सेंथिलकुमार ने इस मामले में शिकायत की थी.

22 मार्च 2021 को जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने अपने आदेश में आपराधिक प्रक्रिया रद्द करते हुए कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद जरूरी है. लेकिन ज्यादा और अति करने से ये हमारे देश की समृद्धि के खिलाफ जा सकता है."

“देशभक्त वही नहीं है जो झंडा फहराए और अपना राष्ट्रीय गर्व दिखाए. देशभक्त वो भी है जो अच्छे शासन की पैरवी करता हो. राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक-प्रयोग देशभक्ति नहीं हो सकता, जैसे कि केक काटना अदेशभक्तिपूर्ण नहीं हो सकता.” 
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश
0

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने राष्ट्रवाद पर बात करते रबींद्रनाथ टैगोर के वाक्य का भी जिक्र किया: "राष्ट्रवाद हमारा आखिरी आध्यात्मिक आश्रय नहीं हो सकता: मेरा आश्रय मानवता है. मैं शीशे को हीरो के दाम पर नहीं खरीदूंगा, और जब तक मैं जिंदा हूं, मैं राष्ट्रवाद को कभी भी मानवता पर जीतने नहीं दूंगा."

हाई कोर्ट ने कहा कि 2013 के इवेंट में हिस्सा लेने वालों ने किसी भी तरह से राष्ट्रवाद का अपमान नहीं किया.

“क्या वो इस महान देश का हिस्सा होने में गर्व महसूस कर रहे होंगे या भारत का गर्व अब सिर्फ एक केक काटने पर आ गया है?” 
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश

कोर्ट ने कहा कि अगर 'अपमान' की परिभाषा बड़ी कर दी जाए तो लोग तिरंगे को पकड़ने में असहज हो जाएंगे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×