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महाराष्ट्र सरकार ने पेश किया बजट, चुनावी समीकरण साधने की कोशिश

महाराष्ट्र बजट में बढ़ाया गया सरपंचों का मानदेय

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महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार ने मंगलवार को अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया. इसमें सरकार ने कृषि, सिंचाई और ढांचागत क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिये आवंटन बढ़ाया है. आवंटनों को बढ़ाए जाने से राजस्व घाटा बढ़कर 20,292.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. पिछले साल राजस्व घाटा 14,960.04 करोड़ रुपये था.

विधानसभा में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सुधीर मुंगटीवार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजस्व व्यय 3,34,933.06 करोड़ रुपये और राजस्व प्राप्ति 3,14,640.12 करोड़ रुपये रहने की संभावना है. यह बजट राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले पेश किया गया है. इसमें कृषि, सिंचाई और बुनियादी ढांचा के साथ महिलाओं, पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण पर जोर दिया गया है.

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बजट में क्या-क्या है?

  • बजट में सिंचाई के लिये 12,000 करोड़ रुपये, सूक्ष्म सिंचाई के लिये 350 करोड़ रुपये, धनगड़ समुदाय के विकास के लिये 1,000 करोड़ रुपये, ओबीसी निगमों के लिये 200 करोड़ रुपये और चार कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा शोध के लिये 600 करोड़ रुपये के प्रस्ताव किये गये हैं.
  • इसके अलावा दिव्यांगों के लिये मकानों के निर्माण को लेकर 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है.
  • बजट में जल संसाधन विभाग के लिये 12,597 करोड़ रुपये और 600 करोड़ रुपये चार कृषि विश्विद्यालय स्थापित करने के लिये आवंटित किये गये हैं.
  • दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी की याद में स्मारक बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
  • खादी और ग्राम्य उद्योग बोर्ड को 100 करोड़ रुपये अनुदान देना भी निर्धारित किया है.
  • महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर सरपंचों को दिए जाने वाले मानदेय में इजाफे की घोषणा.

धनगर समाज को चुनाव से पहले बजट में बड़ा गिफ्ट देने की कोशिश

इस बजट के जरिए फडणवीस सरकार ने ये दिखाने की पूरी कोशिश की है कि वह धनगर समाज के साथ खड़ी है. धनगर समाज की आरक्षण की मांग को देखते हुए राज्य में आदिवासियों को मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ धनगर समाज को मिल सके, इसकी कोशिश की गई है.

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार धनगर समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयासरत है. धनगर समाज के लिए एक हजार करोड़ रुपये बजट में आवंटित किये गए है. इतना ही नहीं बेघर लोगों के लिए 10 हजार घर बनाने का भी ऐलान सरकार ने किया है.

महाराष्ट्र के कई जिलों में धनगर समाज निर्णायक वोट माना जाता है और पिछले साल विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी के साथ था. जिसका फायदा भी पार्टी को बहुत मिला. लेकिन फडणवीस सरकार ने धनगर समाज को आदिवादी आरक्षण देने का अपना आश्वासन अब तक नहीं निभाया है.

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विपक्ष ने बताया घाटे का बजट

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख अशोक चव्हाण ने राज्य सरकार के बजट को घाटे का बताते हुए दावा किया कि इसमें किसानों और वंचित समुदायों को कोई राहत नहीं दी गई है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने बजट घोषणाओं को ‘‘चुनावी हथकंडे’’ बताया है.

चव्हाण ने कहा-

‘‘राज्य का राजस्व घाटा बढ़ा है. इसके अलावा राज्य के इतिहास में पहली बार बजट को लीक किया गया. इसलिए यह घाटे का और लीक बजट है.’’

चव्हाण ने सूखे के मद्देनजर किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी की घोषणा नहीं करने के लिए सरकार पर निशाना साधा है.

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि बजट में जनता को कुछ नया नहीं मिला. पुराने माल को ही नया रैप लगाकर सरकार ने दिया है. इतना ही नहीं विपक्ष ने सरकार पर बजट को सदन में रखने से पहले ही लीक करने का गंभीर आरोप लगाकर सदन का बहिष्कार किया.

बता दें, महाराष्ट्र में इस साल चुनाव होने वाले हैं और राज्य में सूखे से किसान बेहाल है. हालांकि, लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं दिखा. अब सरकार उम्मीद कर रही है कि विधानसभा चुनाव में भी जनता एक बार फिर से उसे ही चुनेगी. शहरी वोटर्स का ध्यान खींचने के लिए वर्तमान में चल रही मेट्रो, सड़क, बिजली, मकान, पानी जैसी योजनाओं को पूरा करने के लिए रकम दी है.

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