मुंबई के डोंगरी इलाके में एक 4 मंजिला इमारत ढह गई. इस हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं. लेकिन ये मुंबई का इस तरह का पहला हादसा नहीं है. पिछले पांच दशक में मुंबई में इमारतों के गिरने से 894 लोगों की मौत हुई है. और हर हादसे के बाद रहनुमाओं ने यही दिलासा दिलाया कि आगे ऐसा न हो, इसके लिए पूरी कोशिश करेंगे. डोंगरी में हुआ हादसा यही बताता है कि ऐसी कोशिशें या तो हुईं नहीं या अधूरी हुईं.
महाराष्ट्र हाउसिंग और एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के हवाले से मुंबई मिरर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 1971 से 2018 के बीच मुंबई में इमारत ढहने के लगभग 3528 हादसे हुए. इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि शहर में हर साल लगभग 25 ऐसे हादसे होते हैं. इमारतों के ढहने के हादसों में 1971 से अब तक 894 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. इन घटनाओं में 1,183 लोग घायल हुए.
दिसंबर 2018 में मुंबई के गोरेगांव वेस्ट इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत के गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई थी. वो इमारत MHADA के चाल का हिस्सा थी.
हर मॉनसून सीजन से पहले रिपेयर और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड अपने दायरे में आने वाली 16,000 इमारतों का एक सर्वे करता है. इससे पता चलता है कि ट्रांजिट कैंपों में होने वाली दिक्कतों और आधी-अधूरी सुविधाओं की वजह से निवासी कई दशकों पुरानी इमारतों को नहीं छोड़ते.
MHADA के अधिकारियों के मुताबिक हाल के सालों में कमाठीपुरा की 530 इमारतों में से कम से कम 180 ढह गई. एक अधिकारी ने बताया कि कमाठीपुरा और आसपास के इलाकों की 125 से ज्यादा इमारतें असुरक्षित हैं. रिपेयर और रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि मुंबई में कई इमारतें जर्जर हालत में हैं और उनको ठीक करने का काम जल्द से जल्द होना चाहिए. अधिकारी चाहते हैं कि इसके लिए MHADA को फंड बिना देरी के देना चाहिए.
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