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J&K: शोपियां गोलीबारी में सेना का दावा- मेजर घटनास्थल पर नहीं थे

शोपियां में पथराव कर रही भीड़ पर सैनिकों की गोलीबारी में 2 नागरिकों की मौत हो गई थी.

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सेना सूत्रों ने दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में गोलीबारी में दो नागरिकों की मौत को लेकर दर्ज एफआईआर में सेना के जिस मेजर का जिक्र किया गया है, वो घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे.

दरअसल, शोपियां में पथराव कर रही भीड़ पर सैनिकों की गोलीबारी में दो नागरिकों की मौत के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. सेना ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है.

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एक सूत्र ने कहा, ‘‘मेजर उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे. वो वहां से करीब 200 मीटर दूर थे...वो घटनास्थल के आसपास थे.’’

पुलिस ने रविवार को सेना की गढ़वाल इकाई के 10 कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 302, 307 के तहत एफआईआर दर्ज की थी. इसमें मेजर का भी नाम लिया गया है, जो घटना के समय सैनिकों को लीड कर रहे थे.

जम्मू-कश्मीर पुलिस चीफ एस पी वैद ने सोमवार को कहा था कि शोपियां घटना में एफआईआर दर्ज कराना जांच की सिर्फ शुरुआत है और सेना के पक्ष को भी ध्यान में रखा जाएगा.

क्या है पूरा मामला?

शोपियां के गानोपोरा गांव में 27 जनवरी को कथित तौर पर प्रदर्शनकारी भीड़ ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया. इसके बाद सुरक्षाबलों की गोलीबारी में दो युवा प्रदर्शनकारियों जावेद अहमद और सुहेल अहमद की मौत हो गई थी.

राज्य सरकार ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं, जबकि पुलिस ने सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

इस एफआईआर में एक मेजर भी आरोपित है.

घाटी की सियासत हुई गर्म

बता दें कि सोमवार को जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दल नेशनल कॉन्‍फ्रेंस (एनसी) ने इस गोलीबारी मामले में दर्ज प्राथमिकी में नामजद सैनिकों की गिरफ्तारी की मांग की थी.

साथ ही इस मसले पर राज्य में सत्ताधारी गठबंधन पीडीपी और बीजेपी के बीच तनातनी हो गई है. बीजेपी इस एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रही है, जबकि पीडीपी ने इसे खारिज कर दिया है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जांच को तार्किक नतीजे तक पहुंचाया जाएगा.

(इनपुट भाषा से)

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