2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल पुरोहित जेल से बाहर आ गए हैं. उन्हें 21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. वो 9 साल से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे. उन्हें जेल से ले जाने के लिए सेना की एक टीम पहुंची थी.
सेना मेरे शरीर के हिस्से की तरह:पुरोहित
जेल से रिहा होने से पहले मंगलवार को कर्नल पुरोहित ने कहा था कि वो जल्द से जल्द सेना में लौटना चाहते हैं.
मैं अपनी वर्दी पहनना चाहता हूं. ये मेरी त्वचा की ऊपरी परत है. मेरे दो परिवार हैं- सेना और मेरा परिवार जिसमें मेरी पत्नी,मेरे दो बेटे,बहन और मां हैं. मैं उनसे मिलने के लिए बेताब हूं.कर्नल पुरोहित
पुरोहित ने कहा, “सेना ने मेरी इज्जत कम नहीं होने दी. मैंने एक बार भी ये महसूस नहीं किया कि मैं सेना से बाहर हो जाउंगा”
आगे क्या करेंगे पुरोहित?
पुरोहित के जेल से निकलने से पहले नवी मुंबई में तालोजा जेल के बाहर सेना की गाड़ियां पहुंची थीं. बताया जा रहा है कि सेना ने अब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया है. सूत्रों के मुताबिक अभी कुछ वक्त कर्नल पुरोहित सेना की कस्टडी में रहेंगे.
21 अगस्त को मिली थी जमानत
25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका रद्द कर दी थी. इसके बाद उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई.
सुप्रीम कोर्ट में पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वो पिछले कई सालों से जेल में बंद है लेकिन उनके खिलाफ अभी तक आरोप तय नहीं किए गए. उन्होंने कहा था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पहले ही मकोका के तहत लगाए गए आरोप हटा लिए गए हैं और इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए.
25 अप्रैल को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को पहले ही जमानत मिल चुकी है. हाईकोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर पर लगाई गई मकोका की धारा को भी हटा दिया था.
2008 में हुआ था मालेगांव धमाका
2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित के साथ स्वामी दयानंद, अजय राहिरकर, राकेश धावडे, रमेश उपाध्याय, श्यामलाल साहू, शिवनारायण कालसांगरा, सुधाकर चतुर्वेदी, जगदीश म्हात्रे और समीर कुलकर्णी आरोपी हैं.
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