महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए ब्लास्ट के केस में आरोपी बीजेपी नेता और भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर 4 जनवरी को एनआईए की विशेष अदालत में पेश हुईं. कोर्ट ने कार्यावाही को 5 जनवरी तक के लिए स्थिगित कर दिया है. अब प्रज्ञा ठाकुर ने अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को आधार बनाते हुए कोर्ट में हर रोज उपस्थित होने से छूट दिए जाने की मांग की है. कोर्ट ने बीजेपी सांसद से इस बारे में आवेदन देने के लिए कहा है और साथ ही ये भी बताया है कि जब भी कोर्ट आदेश देगा उन्हें कोर्ट में मौजूद रहना होगा.
बता दें कि बीजेपी नेता और सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं.
7 लोगों पर आरोप हुए थे तय
एनआईए की एक स्पेशल कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंक फैलाने के मामले में आरोप तय किए थे. मामले में 12 मुख्य आरोपियों में से, सात के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप तय किए गए थे.
पुरोहित और ठाकुर के अलावा, पांच अन्य आरोपी पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं.
2016 में प्रज्ञा को मिली थी क्लीन चिट
इस मामले की जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2011 में एटीएस से अपने हाथों में ले लिया था. एनआईए ने 2016 में दायर अपनी पहली सप्लीमेंट चार्जशीट में ठाकुर को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी.
ठाकुर ने विशेष अदालत से आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने के लिए एनआईए की दलील को आधार बनाया था, लेकिन 27 दिसंबर 2017 को अदालत ने ठाकुर की याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल गाड़ी ठाकुर की है और आरटीओ रिकॉर्ड में ठाकुर के नाम पर है.
29 सितंबर, 2008 को, नासिक जिले के मुस्लिम बहुल मालेगांव में एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में रखे गए बम विस्फोट में कम से कम छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. 2011 से मामला की जांच एनआईए कर रही है.
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