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Manipur Violence: विपक्षी गठबंधन के सांसद पहुंचे इंफाल, हालात का लेंगे जायजा

Manipur Violence Opposition Visit: विपक्षी प्रतिनिधिमंडल 29 और 30 जुलाई को मणिपुर के दौरे पर रहेगा.

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भारत
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देश का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur Violence) बीते लगभग 3 महीनों से हिंसा की आग में झुलस रहा है. विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के सांसदों का प्रतिनधिमंडल हालात का जायजा लेने के लिए इंफाल पहुंच गया है. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार मणिपुर के हालातों पर ठीक से ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए जमीनी स्थिती देखने के लिए विपक्ष खुद मणिपुर जा रहा है. इससे पहले राहुल गांधी ने भी हिंसा ग्रस्त इलाकों और राहत शिविरों में लोगों से मुलाकात की थी.

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3 मई से, मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने हैं. जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 150 लोगों की मौत हो चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन से नेता?

विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में 16 अलग-अलग दलों के 20 सांसद हैं और ये दौरा दो दिवसीय (29 और 30 जुलाई) होगा. विपक्षी नेता घाटी और पहाड़ी इलाकों में जाकर स्थिती का जायजा लेंगे. इसके अलावा रविवार को मणिपुर की गवर्नर अनुसूइया उइके से भी मुलाकात करेंगे.

प्रतिनिधिमंडल में विपक्षी दल के नेताओं की सूची

  • कांग्रेस - अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और फूलो देवी नेताम

  • जनता दल (यूनाइटेड)- ललन सिंह और अनिल हेगड़े

  • तृणमूल कांग्रेस- सुष्मिता देव

  • द्रविड़ मुनेत्र कड़गम- कनिमोझी

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- पी संदोश कुमार

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (M)- एएरहीम

  • राष्ट्रीय जनता दल- मनोज कुमार झा

  • झारखंड मुक्ति मोर्चा- महुआ माजी

  • समाजवादी पार्टी- जावेद अली खान

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- मोहम्मद फैजल

  • आम आदमी पार्टी- सुशील गुप्ता.

  • IUML- मोहम्मद बशीर

  • RSP- एनके प्रेमचंद्रन

  • शिवसेना (UBT)- अरविंद सावंत

  • VCK - अनिल कुमार और थिरुमावलवन

  • राष्ट्रीय लोक दल- जयंत चौधरी

  • दौरे पर रवाना होने से पहले नेताओं की प्रतिक्रिया

नेताओं की प्रतिक्रिया

मणिपुर रवाना होने से पहले अलग-अलग दलों के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी. आरजेडी से सांसद मनोज झा ने कहा कि "हम मणिपुर में लोगों से मिलेंगे और उनकी बात सुनेंगे. वापस आकर हम फिर सरकार से मणिपुर पर ध्यान देने के लिए कहेंगे." कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा,

हम वहां राजनीतिक मुद्दे उठाने के लिए नहीं बल्कि मणिपुर के लोगों के दर्द को समझने के लिए जा रहे हैं. हम सरकार से मणिपुर में उभरी संवेदनशील स्थिति का समाधान खोजने की अपील कर रहे हैं. यह कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति नहीं है. लेकिन वहां सांप्रदायिक हिंसा हो रही है. इसका असर उसके पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ रहा है. सरकार ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है. हम मणिपुर में जमीनी स्तर पर वास्तविक स्थिति का आकलन करने जा रहे हैं..."

विपक्षी दलों ने संसद के अंदर और बाहर अपना विरोध जारी रखा है. पार्टियों ने संसद से अनुपस्थित रहने और बाहर भाषण देने के लिए भी पीएम मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश ने संसद के इतिहास में “इससे बुरा समय” नहीं देखा है. उन्होंने कहा, "जो सरकार पिछले 85 दिनों में मणिपुर के संकटग्रस्त लोगों की मदद के लिए नहीं आई, वह मानवता पर कलंक है."

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