बीएसपी शासनकाल के दौरान मूर्तियों पर किए गए खर्च पर मायावती लगातार घिरती हुई दिख रही हैं. मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. मायावती अपनी और अपने चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां बनाने के लिए कई दलीलें दे चुकी हैं. लेकिन अब मायावती ने खुद की मूर्तियों की तुलना भगवान राम की मूर्ति से कर दी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए भगवान राम और अन्य लोगों की मूर्तियों का भी जिक्र किया. इसके अलावा मायावती ने कहा कि मैंने लोगों की सेवा के लिए शादी तक नहीं की.
हर सरकार ने बनवाई मूर्तियां
मायावती ने अयोध्या में प्रस्तावित 221 मीटर लंबी भगवान राम की मूर्ति का जिक्र करते हुए कहा कि इस मूर्ति पर सवाल क्यों नहीं खड़े हो रहे हैं. लोग इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं. मायावती ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. जिसमें उन्होंने कहा कि मूर्तियां बनाने की बात कोई नहीं है. इससे पहले भी कई सरकारों में ऐसा हो चुका है. कांग्रेस ने भी जनता के पैसे से अपने शासनकाल में नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की मूर्तियां बनाई हैं.
मायावती पर आरोप है कि उन्होंने खुद ही अपने प्रचार के लिए बड़ी संख्या में मूर्तियां तैयार करवाईं. इन मूर्तियों पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी मूर्तियों की कुल लागत और इसके लिए जारी बजट की रिपोर्ट का ब्योरा भी मांगा था
सरदार पटेल की मूर्ति का भी जिक्र
मायावती ने अपने हलफनामे में गुजरात में बनी सरदार पटेल की मूर्ति का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी पैसों से 3000 करोड़ रुपये खर्च कर ये मूर्ति बनाई. उन्होंने महाराष्ट्र में बनी छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियों का भी जिक्र किया है. इसके अलावा लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी, वाई एस राजशेखर रेड्डी, मां कावेरी, एनटी रामाराव और जय ललिता की मूर्ति का भी जिक्र किया गया.
मायावती इससे पहले भी कोर्ट में जवाब दे चुकी है कि उन्होंने लोगों की इच्छा पर अपनी मूर्तियां बनवाई हैं. उनका कहना है कि मैंने लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित किया है,जिसे पूरा समाज भी मानता है. इसीलिए उनकी इच्छा पर हाथियों और अपनी मूर्तियां तैयार की गईं. लोगों को प्रेरणा देने के लिए स्मारक बनाए गए थे.
इमरान मसूद बोले - मायावती की जिद ने बिगाड़ा खेल
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