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मक्का मस्जिद ब्लास्ट: असीमानंद समेत सभी आरोपी बरी

18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हुए इस बम धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 58 लोग घायल हो गए थे.

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साल 2007 में हैदराबाद के मक्का मस्जिद बम ब्लास्ट मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट में एनआईए आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं रख पाया. सबूत के आभाव में कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.

इस मामले की सुनवाई एनआईए मामलों की एडिशनल मेट्रोपोलिटन सेशन कोर्ट में चल रही थी. बता दें कि 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हुए इस ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 58 लोग घायल हुए थे.

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अब तक कब क्या हुआ?

  • 18 मई 2007- इस घटना के ठीक बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की थी, जिसमें करीब 5 लोग मारे गए थे.
  • 9 जून 2007-स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था.
  • 19 नवंबर 2010- स्वामी असीमानंद को अजमेर, हैदराबाद और समझौता एक्स्प्रेस विस्फोट मामलों उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था.
  • 7 अप्रैल 2011- सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया.
सीबीआई और एनआईए ने कुल 10 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें अभिनव भारत के सभी सदस्यों समेत नबाकुमार सिरकर उर्फ स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल दरतवार और राजेंद्र चौधरी शामिल थे. साथ ही दो और आरोपी, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे का भी नाम शामिल था, जो अभी भी फरार है. इस मामले का एक मुख्य आरोपी और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को 29 दिसंबर 2007 को अज्ञात लोगों ने देवस, मध्य प्रदेश में गोली मार दी थी.

असीमानंद ने पहले कबूल किया जुर्म, फिर मुकरे

साल 2011 में असीमानंद ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में कहा था कि अजमेर की दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और कई स्थानों पर हुए बम विस्फोटों में उनका और दूसरे हिंदू चरमपंथियों का हाथ था. बाद में वो अपने बयान से पलट गए और इसे एनआईए के दबाव में दिया गया बयान बताया था. 23 मार्च 2017 को हैदराबाद कोर्ट ने हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट केस के आरोपी असीमानंद को जमानत दे दी.

18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हुए इस बम धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 58 लोग घायल हो गए थे.

कर्नल पुरोहित को CBI ने बनाया था गवाह

बता दें कि सीबीआई ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया था. सीबीआई ने कहा था कि पुरोहित यह साबित कर देंगे कि मक्का मस्जिद ब्लास्ट के आरोपी असीमानंद ने उन्हें फोन किया था. लेकिन 16 फरवरी 2018 को पुरोहित अदालत में अपने बयान से पलट गए.

पुरोहित ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी. उन्होंने अदालत में दावा किया कि नासिक जेल में बंद होने के दौरान सीबीआई ने कभी भी उनका बयान रिकार्ड नहीं किया.

पुरोहित ने कहा कि वह एक आरोपी भरत भाई को नहीं जानते. लेकिन आरोपी स्वामी असीमानंद को जानते हैं, लेकिन कभी भी दोनों ने एक सुनील जोशी की मौत के बारे में बात नहीं की. फिलहाल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल पुरोहित जेल से बाहर आ गए हैं. उन्हें 21 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. वो 9 साल तक नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे.

हैदराबाद की कोर्ट ने अब तक मक्का मस्जिद मामले में 222 गवाहों से पूछताछ की है.

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