भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब केंद्र सरकार की तरफ से कोशिशें शुरू हो चुकी हैं, इसी के तहत गृहमंत्रालय ने एक फैसला लिया था, जिसमें कहा गया कि 1 जून से पैरामिलिट्री कैंटीन में सिर्फ स्वदेशी सामान ही मिलेगा. खुद गृहमंत्री अमित शाह ने इसे ट्वीट किया था. इसके लिए बड़ी कंपनियों के हजार प्रोडक्ट्स की लिस्ट भी जारी हुई, लेकिन आदेश जारी होने के बाद अब सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. यानी फिलहाल विदेशी चीजों की बिक्री जारी रहेगी. इसका मतलब पैरामिलिट्री कैंटीन को 'मेड इन इंडिया' बनाने में अभी और वक्त लगेगा.
स्वदेशी को लेकर कंफ्यूजन में सरकार?
स्वदेशी उत्पादों का प्रोडक्शन और उनकी बिक्री को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कई ऐलान हुए. इन्हीं ऐलानों में से एक सीएपीएफ कैंटीन और पुलिस कल्याण भंडारों में विदेशी उत्पादों की बिक्री पर बैन भी था. इसके लिए पीएम मोदी के संबोधन के ठीक बाद गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया और देश को बताया कि 1 जून से सीएपीएफ की कैंटीनों और स्टोरों पर सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी.
गृहमंत्री के आदेश के मुताबिक ही 1 जून से ठीक पहले विदेशी सामान की एक लिस्ट सामने आई, जिसमें कोलगेट, नेस्ले, डाबर, वीआईपी जैसे बड़े ब्रांड शामिल थे. लेकिन लागू होने के दिन ही इसे फिर वापस ले लिया गया.
यानी अभी तक स्वदेशी उत्पादों और आत्मनिर्भर भारत को लेकर सरकार के अंदर ही कुछ न कुछ कंफ्यूजन चल रही है. देखना ये होगा कि सरकार की नई लिस्ट में क्या फिर से यही बड़े ब्रांड बाहर होंगे, या फिर इनमें से किसी को छूट दी जाती है. यानी पैरामिलिट्री फोर्सेस की कैंटीन को पूरी तरह स्वदेशी बनाना फिलहाल तो मुश्किल दिख रहा है.
पहले जारी आदेश में कहा गया था कि नॉन स्वदेशी चीजों को हटाने का ये फैसला कैंटीन बोर्ड की तरफ से लिया गया है. बता दें कि सीएपीएफ की कैंटीनों में हर साल करीब 2800 करोड़ रुपये का सामान बिकता है. इसे 10 लाख जवानों के परिवारों के करीब 50 लाख लोग इस्तेमाल करते हैं.
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