अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत पहुंच चुके हैं. मंगलवार को दिल्ली पहुंचे पोम्पियो 26 जून को पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे. इस दौरे में दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर की तल्खी खत्म करने से लेकर ईरान से तेल खरीद, रक्षा सहयोग और चीन-पाकिस्तान से भारत के रिश्तों को देखते हुए आपसी तालमेल पर विचार-विमर्श होगा. भारत में आम चुनाव के बाद किसी अमेरिकी मंत्री का यह पहला दौरा है.
माइक पोम्पियो के दौरे में दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर की तल्खी कम करने की कोशिश होगी. भारत ने इसकी ओर साफ इशारा किया है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि बातचीत के दौरान ट्रेड वॉर के साथ ही आतंकवाद, अफगानिस्तान, एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग अहम मुद्दे होंगे.
अहम होगी पोम्पियो से बातचीत : एस जयशंकर
गुजरात से राज्यसभा के लिए पर्चा दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में जयशंकर ने कहा कि माइक पोम्पियो के साथ बातचीत बेहद अहम होगी. चुनाव के बाद किसी अमेरिकी मंत्री का यह पहला भारत दौरा है. इस बातचीत में दोनों देशों के बीच ट्रेड पर बातचीत जरूर होगी.
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के अपने-अपने हित में हैं और उनके बीच इसे लेकर संघर्ष स्वाभाविक है. लेकिन डिप्लोमेसी का इस्तेमाल कर आपसी सहमति कायम करने की कोशिश करेंगे. इस मुद्दे पर हम सकारात्मक रुख के साथ बातचीत करेंगे.
ट्रे़ड वॉर समेत कई मुद्दों पर हो सकती है बातचीत
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव के भारत पर पड़ने वाले असर के बारे में जयशंकर ने कहा कि इस मामले में हम अपने हित ऊपर रखेंगे. हमारा अमेरिका और ईरान दोनों से संबंध हैं. इसलिए हम इस संबंध अपने हित देखेंगे. हमारा राष्ट्र हित सर्वोपरि होगा. विश्लेषकों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हाल के दिनों में तनातनी है. यह देखना हो दिलचस्प होगा कि इस पर कितनी बातचीत होती है और दोनों इस पर आम सहमति कायम कर पाते हैं या नहीं. ये मुद्दे हैं-
- एक दूसरे के सामानों पर टैरिफ में बढ़ोतरी
- रूस से S-400 एयर डिफेंस डील का मामला
- ईरान से तेल की खरीद को सीमित करने का मुद्दा
- ई-कॉमर्स और डेटा लोकेलाइजेशन का मामला
- वीजा खास कर H-1B में कटौती की धमकी
पोम्पियो के साथ बातचीत में चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों पर भी चर्चा होगी. एस जयशंकर ने कहा कि पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में स्थिरता आई है.
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