केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के 3 साल बाद देश में रोजगार की क्या हालत है ? क्या बेरोजगारी कम हुई है? देश में कितने रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं? इन्हीं सब सवालों का जवाब दे रही है है इंडिया स्पेंड की ये रिपोर्ट.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार के लगातार रोजगार सृजन पर जोर देने के बावजूद बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आने के बाद से बेरोजगारी बढ़ी है.
बीजेपी ने जब देश की सत्ता संभाली थी उस समय (2013-14) देश में बेरोजगारी दर 4.9 फीसदी थी, जो अगले एक साल में (2015-16) 5.0 फीसदी हो गई.
जॉबलेस ग्रोथ
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव-2014 के अपने घोषणा-पत्र में कहा था-
“कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बीते 10 सालों के दौरान कोई रोजगार पैदा नहीं कर सकी, जिससे देश का विकास बुरी तरह बाधित हुआ है. बीजेपी अगर सत्ता में आई तो व्यापक स्तर पर आर्थिक सुधार करेगी और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी.”
प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान 2013 में आगरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बीजेपी एक करोड़ रोजगार पैदा करेगी. मोदी ने कहा था-
अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो हम एक करोड़ रोजगार का सृजन करेंगे, जो संप्रग की सरकार घोषणा करने के बावजूद कर नहीं सकी.
डेटा क्या कहता है?
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर तैयार आर्थिक सर्वेक्षण (2016-17) में कहा गया है कि रोजगार के अवसर पैदा करने की गति सुस्त हुई है.
श्रम मंत्रालय के पांचवें वार्षिक रोजगार-बेरोजगार सर्वेक्षण (2015-16) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर पांच फीसदी रही. बता दें कि सामान्य प्रिंसिपल स्टेटस के अनुसार, सर्वेक्षण से पूर्व के 365 दिनों में 183 या उससे अधिक दिन काम करने वाले लोगों को बेरोजगार नहीं माना जाता.
इस सर्वेक्षण में संगठित और असंगठित अर्थव्यवस्था दोनों को शामिल किया गया है. इसके अलावा सार्वजनिक रोजगार कार्यक्रमों के तहत काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को भी शामिल किया गया.
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक,
- जुलाई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेड, कंस्ट्रक्शन, एजुकेशन, हेल्थ, आईटी, ट्रांसपोर्ट, एकोमोडेशन और रेस्टोरेंट सेक्टरों में 641,000 रोजगार पैदा की गई हैं.
- इसमें जनवरी, 2016 से मार्च, 2016 के बीच के आंकड़ें शामिल नहीं हैं.
- इसकी तुलना में जुलाई, 2011 से दिसंबर, 2013 के बीच इन्हीं क्षेत्रों में 12.8 लाख रोजगार सृजित हुए थे.
- ये डेटा सरकार द्वारा गैर-कृषि इकाइयों से जुटाए गए हैं.
सामाजिक सुरक्षा पर भी पड़ा है प्रभाव
इस आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार की प्रकृति में भी अहम बदलाव देखे गए और कहा गया है कि स्थाई नौकरियों की अपेक्षा कुल रोजगार में अस्थाई और संविदा(कॉन्ट्रेक्ट) पर नौकरियों की हिस्सेदारी बढ़ी है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि अस्थाई नौकरियों में इजाफे की वजह से वेतन, रोजगार की स्थिरता और कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा पर उलटा प्रभाव पड़ता है.
बीजेपी के देश की सत्ता में आने से पहले और बाद में किए गए इन सर्वेक्षणों में हालांकि देश की श्रमशक्ति के एक बड़े हिस्से को शामिल नहीं किया गया था. इसमें 10 या उससे कम श्रमिकों वाली इकाई और असंगठित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले श्रमिक शामिल हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 2004-05 से 2011-12 के बीच असंगठित क्षेत्रों ने कुल रोजगार का 90 फीसदी रोजगार पैदा किया.
पिछली सरकार से पीछे है मोदी सरकार !
रिपोर्ट के मुताबिक शहरी और ग्रामीण इलाकों में छोटी परियोजनाएं शुरू कर रोजगार पैदा करने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत-
2012-13 में 428,000 लोगों को फायदा पहुंचा जो 2015-16 में 24.4 फीसदी घटकर 323,362 रह गई.
सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस कार्यक्रम के तहत अतिरिक्त 187,252 नौकरियां पैदा की गई.
श्रम मंत्रालय के तिमाही रोजगार सर्वेक्षण में शामिल मुख्य 8 सेक्टरों से हासिल आंकड़ों और पीएमईजीपी के तहत अक्टूबर, 2016 तक प्राप्त आंकड़ों को मिलाकर बीजेपी के तीन सालों में देश में कुल 15.1 लाख रोजगार पैदा हुए हैं. ये संख्या इससे पहले के 3 सालों के दौरान पैदा हुए रोजगार के अवसरों से 39 फीसदी कम है.
(indiaspend.org/ indiaspendhindi.com आंकड़ों पर आधारित, जन हितकारी और गैर लाभदायी संस्था है.)
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