लाल किले के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप को देने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. कांग्रेस ने लाल किला को डालमिया ग्रुप को दिए जाने पर कड़ा एतराज जताया है. इस मामले में मोदी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को निजी उद्योग समूहों को दे रही है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर को एक निजी उद्योग को सौंपे जा रहे हैं. भारत और इसके इतिहास को लेकर यह सरकार की परिकल्पना और प्रतिबद्धता है. उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा, “हमें पता है कि आपकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है, लेकिन फिर भी हम आपसे पूछना चाहते हैं.’’
खेड़ा ने सवाल किया कि क्या आपके पास धन की कमी है? भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए निर्धारित राशि क्यों खर्च नहीं हो पाती.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार को इस मामले को लेकर घेरा है. उन्होंने लाल किला को डालमिया ग्रुप को दिए जाने के दिन को इतिहास का दुखद और काला दिन करार दिया. उन्होंने सवाल किया कि क्या मोदी सरकार में ऐतिहासिक लाल किला की भी देखरेख करने की क्षमता नहीं है.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किला की देख रेख क्यों नहीं कर सकती है? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह वह जगह है, जहां स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा लहराया जाता है. इसको पट्टे पर क्यों दिया गया? यह हमारे इतिहास का दुखद और काला दिन है.'
इस बीच, सरकार ने साफ किया है कि लाल किला ऐतिहासिक स्मारकों को गोद देने की स्कीम ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ के तहत डालमिया ग्रुप को रखरखाव के लिए दिया गया है. इससे किसी को पैसे कमाने की इजाजत नहीं होगी. दरअसल, डालमिया ग्रुप ने इस ऐतिहासिक इमारत को गोद लेने के लिए 25 करोड़ रुपये का करार किया है. कांग्रेस इसे लेकर सरकार पर हमलावर है
पर्यटन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि लाल किला समेत कई ऐतिहासिक भवनों को संरक्षण देने और पर्यटकों को सुविधा देने के लिए कुछ निजी कंपिनयों से समझौते किए गए हैं. पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के लिए निजी कंपनियों के साथ करार किया गया है. इन कंपनियों को मुनाफा कमाने की इजाजत नहीं दी गई है. इमारतों से होने वाली कमाई इन्हीं के रख-रखाव पर खर्च की जाएगी.
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