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मोदी@3: J-K में आतंकवाद ने ली अधिक जानें, देशभर में कम जवान शहीद

पूरे देश में आतंकवाद से हुई मौतों में भाजपा के तीन सालों के कार्यकाल के दौरान 9 फीसदी की कमी आई है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के 3 सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण हुई मौतों में 42 फीसदी का बढ़ोतरी हुई है. बता दें कि ये तुलना पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के आखिरी तीन सालों से की गई है.

इंडिया स्पेंड ने अपनी इस रिपोर्ट में साउथ एशिया टेररिस्ट पोर्ट (SATP)के आंकड़ों का जिक्र किया है, जिसके मुताबिक, यूपीए-2 के आखिरी के 3 सालों के कार्यकाल की तुलना में मोदी की मौजूदा सरकार के 3 सालों के कार्यकाल में आतंकवाद के कारण 72 फीसदी अधिक जवान शहीद हुए हैं.

यूपीए-2 में जहां ये आंकड़ा 111 था, वहीं मोदी सरकार में ये संख्या 191 पर पहुंच गई.
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जम्मू-कश्मीर में बिगड़े हैं हालात

इसी अवधि की तुलना करें तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण नागरिकों की मौत में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि आतंकवादियों की मौत भी 32 फीसदी अधिक हुई है.

26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने का संकल्प लिया था. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ज्यादातर मौतें बीते एक साल के दौरान हुई. खासकर 8 जुलाई, 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद हुई हैं.

दूसरे साल से ज्यादा तीसरे साल में हुई मौतें

बीजेपी के शासनकाल के तीसरे वर्ष में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण 293 मौतें हुईं, जो इसी सरकार के दूसरे साल के कार्यकाल में हुई 191 मौतों से 53 फीसदी अधिक रहा.

बीते साल की तुलना में इस साल आतंकवादी हमलों में 61 फीसदी अधिक जवान शहीद हुए.

पूर्वोत्तर में सुरक्षा बल ज्यादा शहीद हुए !

वहीं अगर देश के पूर्वोत्तर हिस्सों की बात करें तो बीजेपी के तीन सालों के कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र में आतंकवाद के कारण हुई मौतों में 12 फीसदी की कमी आई है. ये आंकड़े देश के पूर्वोत्तर हिस्से में सुरक्षा स्थिति में बेहतरी के संकेत देते हैं, लेकिन दूसरी ओर देश का ये इलाका सुरक्षा बलों के लिए अधिक असुरक्षित साबित हुआ है.

यूपीए-2 के आखिरी तीन सालों के कार्यकाल की अपेक्षा मोदी सरकार के 3 सालों के कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद के कारण सुरक्षा बलों की मौत में 62 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

बीते 3 सालों के दौरान पूर्वोत्तर भारत में 89 जवानों की मौत आतंकवाद के चलते हुई, वहीं आतंकवाद के चलते नागरिकों की मौत में 15 फीसदी की गिरावट आई है.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 16 मई, 2016 को पूर्वोत्तर की स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक में कहा था,-

इलाके (पूर्वोत्तर भारत) में संगठित आतंकवाद में गिरावट आई है.

राजनाथ ने कहा था कि केंद्र सरकार ने इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया है और पड़ोसी देशों के साथ सुरक्षा समन्वय में इजाफे की वजह से सुरक्षा हालात में सुधार आया है.ॉ

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देशभर में जवानों की शहादत में हुई कमी

पूरे देश में आतंकवाद से हुई मौतों में बीजेपी के तीन सालों के कार्यकाल के दौरान 9 फीसदी की कमी आई है. बीजेपी के इस शासनकाल में शहीद हुए जवानों की संख्या 43 फीसदी घटकर 216 रह गई, जबकि यूपीए-2 के आखिरी तीन सालों के कार्यकाल के दौरान ये संख्या 380 थी.

इसी अवधि में आतंकवाद के कारण नागरिकों की मौत में भी 27 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि सुरक्षा बलों के अभियानों में नक्सलियों की मौत में 34 फीसदी का बढ़ोतरी हुई है.

हालांकि 2014-15 में जहां नक्सली हमलों में 259 जवान शहीद हुए थे, वहीं 2016-17 में यह संख्या 60 फीसदी बढ़कर 414 हो गई.

(indiaspend.org/ indiaspendhindi.com आंकड़ों पर आधारित, जन हितकारी और गैर लाभदायी संस्था है.)

(Source: Indiaspend/IANS)

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