वहीं, 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया कि यह मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में है. याचिकाकतार्ओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील देते हुए कहा,
“हम एक मानवीय स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं. अगर इस परियोजना को चार से छह सप्ताह तक टाल दिया जाए तो कुछ नहीं होगा.”
जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने हाईकोर्ट से भी कहा कि वह जल्द सुनवाई के लिए याचिका पर विचार करे. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले को 17 मई को सुनवाई के लिए निर्धारित कर रखा है.
बदल जाएगा राजपथ का नजारा
सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट मोदी सरकार का 20 हजार करोड़ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. नए सेंट्रल विस्टा के निर्माण से राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का नजारा बदल जाएगा. इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर नया प्रधानमंत्री आवास भी बनना है.
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, नोडल एजेंसी CPWD ने हाल में एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी को बताया है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नवंबर 2022 तक नया संसद भवन बनकर तैयार होगा. दिसंबर 2022 तक उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास भी क्रमश: नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पास बनकर तैयार होगा. इसके अलावा कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट भी बनाने की तैयारी है. SPG की भी दिसंबर 2022 तक बिल्डिंग बनकर तैयार होगी.
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