हाल ही में कानून बने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर 47 फीसदीभारतीय नागरिकों को ऐसा लगता है कि इस कानून से भारतीय संविधान का उल्लंघन किया गया है. इसके साथ ही समान लोगों को ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है. IANS-CVoter के सर्वे में यह बात सामने आई. देशभर के 47.1 फीसदी लोगों ने कहा कि भारतीय संविधान का उल्लंघन हुआ है. जबकि 47.4 फीसदी लोगों को ऐसा नहीं लगता है.
देशभर में तीन हजार नागरिकों में 17 से 19 दिसंबर के बीच कराए गए स्नैप पोल में नमूने के तौर पर सबसे ज्यादा लोग 500 असम से लिए गए थे, जिसमें पूर्वोत्तर और मुस्लिम समुदाय के लोग समान रूप से मौजूद रहे.
सर्वे के अन्य सवाल में 64 फीसदी लोगों को लगता है कि नए कानून से भारत की जनसंख्या में बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा. जबकि 33.8 फीसदी लोग ऐसा नहीं सोचते हैं.
असम के लोग क्या सोचते हैं
असम की बात करें तो 68.1 फीसदी लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं, वहीं 78.1 फीसदी को लगता है कि इससे जनसंख्या बढ़ने की संभावनाएं हैं. हालांकि, 18.9 फीसदी लोगों को ऐसा नहीं लगता है.
समुदाय की बात करें तो 73.7 फीसदी मुस्लिम और 63.6 फीसदी हिंदुओं को लगता है कि इस कदम से भारत की जनसंख्या बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा. 22.3 फीसदी मुस्लिम और 34.2 फीसदी हिंदुओं को मगर ऐसा नहीं लगता है.
31.9% मानते हैं CAA-NRC अवैध प्रवासियों के खिलाफ
सर्वे में देशभर के 55.9 फीसदी लोगों का मानना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सिर्फ अवैध प्रवासियों के खिलाफ है. वहीं 31.9 फीसदी लोगों को लगता है कि ये भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है.
मुस्लिम समुदाय के बीच 64.7 फीसदी लोगों ने कहा कि ये भारतीय मुसलमानों के खिलाफ हैं, जबकि 20.8 फीसदी लोगों ने माना कि यह कानून सिर्फ अवैध प्रवासियों के खिलाफ है.
क्षेत्र के आधार पर बात करें तो कानून का समर्थन उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों में ज्यादा है, जबकि दक्षिण और पूर्व में समर्थन कम है, लेकिन पूर्वोत्तर इस बाबत विभाजित नजर आ रहा है. असम में पूरे देश से इतर 68 फीसदी लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं.
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