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‘तबाह होने वाला है आरे कॉलोनी का जंगल, अब तक चुप क्यों थी शिवसेना’

युवा सेना प्रमुख और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि वो मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड नहीं बनने देंगे

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युवा सेना प्रमुख और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि वो मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड नहीं बनने देंगे. आरे कॉलोनी के पास जंगल में 2700 पेड़ों को काटने का विरोध करते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा है - 'हम मेट्रो या विकास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन वहां तेंदुए सहित दुर्लभ जानवर रहते हैं, वो कहां जाएंगे, जंगल की इकोलॉजी को भी नुकसान होगा.'' पर्यावरण से जुड़े लोग आदित्य का साथ दे रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आदित्य पर पर्यावरण के मुद्दे पर डबल स्टैंडर्ड अपनाने के आरोप भी लग रहे हैं?

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आदित्य पर डबल स्टैंडर्ड का आरोप क्यों ?

एमएनएस नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि आदित्य ठाकरे आरे कॉलोनी में जंगल बर्बाद होने का मुद्दा तो उठा रहे हैं लेकिन कोस्टल रोड का विरोध क्यों नहीं कर रहे, क्योंकि उससे समुद्र किनारे की इकोलॉजी को नुकसान होने जा रहा है.

आदित्य को कोस्टल रोड के कारण मछुआरों और समुद्र किनारे के इलाके को होने वाले नुकसान पर भी बोलना चाहिए. दूसरी बात-बीएमसी में शिवसेना ही है तो आरे कॉलोनी में पेड़ काटने की योजना बीएमसी में कैसे पास हो गई. ऐसे में जनता के  बीच जाकर आरे कॉलोनी में जंगल बर्बाद होने पर चिंता जताना कितना सही है?
संदीप देशपांडे
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बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है, लेकिन शिवसेना के विरोध के बावजूद पेड़ काटने का प्रस्ताव संख्या के आधार पर पास हो गया.  हालांकि अब शिवसेना मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी में भी है.

क्या है आरे कॉलोनी जंगल का मामला ?

BMC की ट्री अथॉरिटी ने 29 अगस्त, 2019 को मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो 3 प्रोजेक्ट के लिए कार शेड बनाने की योजना को मंजूरी दी है. इस शेड के लिए 2700 पेड़ काटे जाने हैं. तभी से इस प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है. आम लोगों से लेकर बॉलीवुड के सेलेब्स ने इस योजना का विरोध किया है.

मेट्रो का दावा है कि आरे जंगल में कोई जैव विविधता मौजूद नहीं है .जबकि कई सालों से जंगलो में काम करने वाले वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट नयन खानोलकर और राजेश सानप का कहना है कि, मकड़ियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियां भी हैं जो आरे में पाई जाती हैं. यहां पाए जाने वाली करीब 120 प्रजातियां प्रवासी पक्षियों की है. NEERI की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया जा रहा है जिसमें कहां गया है कि मेट्रो साइट के निर्माण से मानसून के वक्त आसपास के कई इलाकों में बाढ़ की आशंकी बढ़ जाएगी.

यह भी पढ़ें: आरे जंगल के आदिवासियों ने पूछा-पेड़ कटेंगे तो हम कैसे जिंदा रहेंगे

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