मुंबई के सबसे बड़े सरकारी केईएम अस्पताल (KEM Hospital) के जीएस मेडिकल कॉलेज में 24 साल के छात्र की रैंगिंग और जातिगत टिप्पणियां कर उत्पीड़न करने का मामला सामने आया है. जिसमें 14 जनवरी 2022 को 17 छात्र और दो हॉस्टल वॉर्डन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. बावजूद उसके अब तक पुलिस और कॉलेज की तरफ से कोई कार्रवाई ना होने से दलित संगठन आक्रामक हो गए हैं. जिसके चलते जाति अंत संघर्ष समिति और दलित पैंथर सुवर्ण महोत्सव समिति ने केईएम अस्पताल के सामने मौन आंदोलन किया.
महाराष्ट्र के हिंगोली से आए सुगत भारत पडघान का आरोप है कि पिछले तीन सालों से उसके रूममेट और अन्य छात्र उसे लगातार परेशान कर रहे हैं. कई मौकों पर उनकी बातें ना सुनने पर उसे मारने की कोशिश भी की गई. जिसकी उसने हॉस्टल के वॉर्डन और डीन को लिखित शिकायत भी की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.
क्या है आरोप?
सुगत के डीन को लिखे खत के मुताबिक उसके कई बार मांग करने के बाद भी बेड उपलब्ध नहीं कराया गया. जिस वजह से उसे नीचे जमीन पर सोना पड़ता. लेकिन कई बार आपत्ति जताने पर भी अन्य रूममेट अपने जूते और चप्पल उसके बिस्तर के पास रखते थे. उसे अन्य छात्रों की तरह हॉस्टल गैलरी में कपड़े सुखाने पर वॉर्डन डांट लगाते.
इसके अलावा उसे बर्तन और टिफिन धोने के लिए जबरदस्ती की जाती. मना करने पर उसे एक रूममेट ने आठवें मंजिल से नीचे फेंकने की धमकी दी. उसे अपमानित करने के लिए जातिसूचक गालियां दी जाती और चिंदी कहकर चिढ़ाया जाता रहा. इस सबसे परेशान होकर सुगत अपने गांव हिंगोली चले गए, जिसकी वजह से उनके लेक्चर अटेंडेंस पर भी बुरा असर हुआ.
अब तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई ?
शिकायत मिलने और दलित संगठन के दबाव के बाद केईएम के डीन हेमंत देशमुख ने इस मामले की जांच के लिए एंटी रैगिंग कमिटी गठित की. हालांकि जांच रिपोर्ट में आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए मामला खारिज कर दिया. लेकिन जाती अंत संघर्ष समिति के कन्वेनर सुबोध मोरे का दावा है कि जांच समिति यूजीसी गाइडलाइंस का पालन करते हुए नहीं बनाई गई थी. इसलिए मामले को रफा दफा करने का आरोप संगठन ने कमेटी पर लगाया. साथ ही जांच रिपोर्ट अमान्य होने की बात कहीं.
इसके बाद सुगत और संगठन ने एससी / एसटी कमीशन का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के बाद कमीशन ने हॉस्पिटल डीन को यूजीसी गाइडलाइंस का पालन कर स्वयंसेवी संस्था, स्थानीय पत्रकारों का समावेश कर समिति का गठन करने को कहा.
इसके अलावा भोईवाड़ा पुलिस को एससी एसटी प्रतिबंधक एक्ट 1989 के तहत मामला दर्ज करते हुए आठ दिनों में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. बता दे कि सुगत 17 दिसंबर 2021 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन 14 जनवरी को मामला दर्ज किया गया है.
क्या है संगठन की मांग ?
आंदोलन में उतरे संंगठनों की मांग है कि सुगत पडघान रैगिंग मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए. केईएम के डीन डॉ. हेमंत देशमुख और एकेडमिक डीन डॉ. नाडकर इन दोनों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत सह आरोपी बनाया जाएं. साथ ही उन्हें रैगिंग मामले को अनदेखा करने के लिए निलंबित किया जाए. कार्रवाई को टालने के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों पर भी मामला दर्ज किया जाएं. साथ ही सुगत पडघान को पुलिस प्रोटेक्शन मिले.
हालांकि डीसीपी विजय पाटिल ने क्विंट हिंदी को बताया कि मामले की जांच शुरू है और सभी संबंधित लोगों का बयान दर्ज किया जा रहा हैं. जांच में सभी बातें सामने आएगी. आठ दिनों में पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट पेश करेगी. जो कोई दोषी पाया जाएगा उसपर कड़ी कार्रवाई होगी
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