उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पास शनिवार को पुरी-हरिद्वार-कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है.
हालांकि अभी तक हादसे के पीछे के कारणों को लेकर किसी भी तरह का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन पूरे मामले के पीछे 3 अलग अलग थ्योरी सामने आ रही हैं.
हादसे के पीछे की 3 थ्योरी
थ्योरी नंबर एक- मुजफ्फरनगर में हुआ हादसा कहीं आतंकी साजिश तो नहीं. इस बात का पता करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे के तुरंत बाद यूपी एटीएस को घटना स्थल पर जांच के लिए रवाना कर दिया था.
यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के आदेश पर यूपी एटीएस की टीम डीएसपी अनूप सिंह के नेतृत्व में दुर्घटनास्थल पर पहुंच कर जांच में जुटी है. हालांकि यूपी के मुख्य सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने कहा कि पहली नजर में यह मामला आतंकी साजिश नहीं लग रहा.
थ्योरी नंबर दो - इस हादसे के पीछे दूसरी थ्योरी सरकारी लापरवाही की सामने आ रही है.
हादसा होने वाली जगहों के आसपास रह रहे लोगों का कहना है कि ट्रैक पर पिछले कुछ दिनों से सिग्नलिंग का काम चल रहा था. साथ ही हादसे वाली जगह का ट्रैक लंबे समय से खराब है. जिस वजह से यहां ट्रेनें धीमी रफ्तार से निकलती हैं. लेकिन वहां ट्रेन को धीमे गुजरने की चेतावनी वाला कोई बोर्ड नहीं लगा था.
थ्योरी नंबर 3- उत्कल एक्सप्रेस की स्पीड ज्यादा थी. चश्मदीदों के मुताबिक उत्कल एक्सप्रेस से कुछ ही देर पहले 2 ट्रेनें इस ट्रैक से होकर गुजरी थी. जिसकी स्पीड काफी कम थी. लेकिन उत्कल एक्सप्रेस की रफ्तार सामान्य से ज्यादा थी.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक-
उत्कल एक्सप्रेस का स्टॉपेज खतौली में नहीं है. ट्रेन करीब 105 Kmph की रफ्तार से चल रही थी. स्टेशन पार करते ही ड्राइवर को किसी खतरे की आशंका हुई, जिसके बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाया. इसी वजह से डिब्बे पटरी से उतरने की आशंका है.
वहीं एनडीटीवी के मुताबिक खतौली स्टेशन के सुपरिटेंडेंट राजेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी ट्रैक के रिपेयर होने की जानकारी नहीं थी. अगर कोई रिपेयर का काम होगा तो वो इंजीनियरिंग विभाग को पता होगा, लेकिन विभाग को ऐसी कोई जानकारी नहीं थी.
इसके उलट मुजफ्फरनगर इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि ट्रैक पर काम चल रहा था. स्टेशन को बताया गया था कि ट्रैक असुरक्षित है. एक क्रैक प्लेट को ठीक करने के लिए 20 मिनट का समय मांगा गया था यानी 20 मिनट तक कोई ट्रेन वहां से ना गुजरे ये मांग की गई थी.
हादसे के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को आदेश दिया है कि रविवार का दिन खत्म होने तक इस मामले में जवाबदेही तय कर दी जाए.
इन 3 थ्योरी की चर्चा जोरों पर है. लेकिन सवाल कई हैं जिनके जवाब मिलने अभी बाकी हैं. जवाबदेही तय होना भी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचा जा सके.
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