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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: ब्रजेश समेत 19 लोग दोषी करार, 1 बरी

इससे पहले तीन बार टली थी फैसले की तारीख

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लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में कोर्ट का फैसला आया है. 20 आरोपियों में से ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोग दोषी करार दिए गए हैं, जबकि एक आरोपी को मामले में बरी किया गया है. कोर्ट ने सजा पर बहस के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है.

इससे पहले तीन बार कोर्ट के फैसले की तारीख टल चुकी थी. ये पूरा मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म से जुड़ा हुआ है.

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इससे पहले अदालत ने शनिवार को मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने दावा किया कि मामले में गवाहों की गवाही भरोसे लायक नहीं है. मामले के बारे में जानकारी रखने वाले एक वकील ने बताया था कि बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान एडिशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यौन हमले का मामला आश्रय गृह में कुछ लड़कियों की कथित हत्या के मामले से अलग है.  

तीन बार टली फैसले की तारीख

सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम केस को 7 फरवरी 2019 को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया था. इसके बाद 23 फरवरी से इस मामले की साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. लगभग सात महीने की सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2019 को साकेत कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. लेकिन अलग-अलग वजहों के चलते तीन बार ये फैसला सुनाने की तारीख टलती रही.

पिछली बार मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की तरफ से अदालत में अपने बचाव के लिए दायर की गई एक अर्जी की वजह से फैसला 20 जनवरी तक के लिए टाला गया. इससे पहले एडिशनल जज सुदेश कुमार ने फैसला 14 जनवरी तक के लिए इसलिए टाल दिया था, क्योंकि मामले पर सुनवाई करने वाले जज सौरभ कुलश्रेष्ठ छुट्टी पर थे. वहीं इससे पहले भी फैसला टाला गया था. तब दिल्ली की सभी 6 जिला अदालतों में वकील हड़ताल पर थे, जिस वजह से तिहाड़ जेल में बंद 20 आरोपियों को अदालत में नहीं लाया जा सका था.

सीबीआई ने हाल ही में इस केस को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. सीबीआई का कहना था कि मुज्जफरपुर शेल्टर होम में किसी लड़की की हत्या नहीं हुई. इससे पहले पुलिस ने लड़कियों के कंकाल मिलने का दावा किया था. लेकिन अब पुलिस ने कहा कि वहां मिले कंकाल शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों में से किसी के नहीं थे.

क्या है मामला?

यह मामला उस वक्त सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों से कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र किया गया था. इस चर्चित मामले में बिहार पीपुल्स पार्टी के पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी थे. कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को नाबालिगों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न की साजिश रचने के अपराध में ठाकुर समेत कई आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

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