पंजाब (Punjab) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) शनिवार (1 अप्रैल) को कोर्ट से बाहर आ गये. 34 साल पहले रोडरेज के मामले में, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, सजा काटने के 10 महीने बाद सिद्धू पटियाला जेल से बाहर आये हैं. जेल से रिहा होने के बाद सिद्धू ने मीडिया से बात की और केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार पर निशाना साधा.
सिद्धू ने कहा कि "अभी लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है. पंजाब में राष्ट्रपति शासन लाने की साजिश की जा रही है, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. पंजाब को कमजोर करने की कोशिश होगी तो कमजोर हो जाएंगे."
पंजाब के सीएम भगवंत मान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि "मैं अपने छोटे भाई भगवंत मान से पूछना चाहता हूं. आपने पंजाब के लोगों को बेवकूफ क्यों बनाया? आपने लंबे-चौड़े वादे किए, चुटकुले सुनाए. लेकिन आप आज सिर्फ कागज पर मुख्यमंत्री हैं."
संविधान को मैं अपना ग्रंथ मानता हूं, तानाशाह हो रहा है. जो संस्थाएं संविधान की ताकत ती वही संस्थाएं आज गुलाम बन गई हैं. मैं घबराता नहीं हूं, मैं मौत से डरता नहीं हूं क्योंकि मैं जो करता हूं वो पंजाब की अगली पीढ़ी के लिए कर रहा हूं.नवजोत सिंह सिद्धू,कांग्रेस नेता
राहुल गांधी के लिए बोलते हुए सिद्धू ने कहा कि "मुझे दोपहर के आसपास रिहा किया जाना था लेकिन उन्होंने इसमें देरी की. वे चाहते थे कि मीडिया के लोग चले जाएं. इस देश में जब भी कोई तानाशाही आई है तो एक क्रांति भी आई है और इस बार उस क्रांति का नाम है राहुल गांधी. वह सरकार को हिला देंगे"
नवजोत सिंह सिद्धू को रोड रेज मामले में एक साल की सजा सुनाई गई थी और मई में रिहा होना था, लेकिन उनके "अच्छे व्यवहार" के कारण उन्हें जल्दी रिहा कर दिया गया है.
सिद्धू को 48 दिन पहले किया गया रिहा
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धू के वकील एचपीएस वर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेता को राज्य की सामान्य छूट नीति के तहत जल्दी रिहाई मिल रही है. उन्होंने कहा, "नवजोत सिद्धू को मई में रिहा होना था, लेकिन अच्छे आचरण वाले सभी कैदियों के लिए रविवार की सभी छुट्टियां सजा की अवधि से काट ली जाती हैं. इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू को 48 दिन की छूट मिल रही है."
सिद्धू को क्यों जाना पड़ा जेल?
27 दिसंबर, 1988 को नवजोत सिद्धू (59) का पटियाला निवासी गुरनाम सिंह (65) से पार्किंग स्थल को लेकर विवाद हो गया था. नवजोत सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को अपनी कार से बाहर खींच लिया और मारा था, उनकी बाद में एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.
इस मामले में मृतक के परिवार ने सिद्धू के खिलाफ याचिका दायर की थी. इसमें सिद्धू पर एक चश्मदीद ने गुरनाम सिंह की सिर पर वार कर हत्या करने का आरोप लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को एक व्यक्ति को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया था. लेकिन मृतक के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से 2018 के आदेश की समीक्षा करने की करते हुए सिद्धू को सजा देने की मांग की थी.
इसके बाद अदालत ने पिछले साल मई में अपने आदेश की समीक्षा करते हुए नवजोत सिद्धू को एक साल के "सख्त कारावास" का आदेश दिया था.
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