यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस के नए म्युटेंट मिलने के बाद दुनियाभर में फिर से ट्रेवल बैन और प्रतिबंध लगने शुरू हो गए हैं. इसी बीच साउथ अफ्रीका से एक COVID-19 वैरिएंट की खबर आ गई है. कई देशों ने यूके की तरह ही साउथ अफ्रीका से आने वाले यात्रियों के लिए भी सीमाएं बंद कर दी हैं.
ये नया वैरिएंट क्या है? क्या ये ज्यादा खतरनाक है? इसके बारे में अभी तक ये पता है:
साउथ अफ्रीका में मिले वैरिएंट को क्या नाम दिया गया?
साउथ अफ्रीकन स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली खिजे ने ट्विटर पर बताया कि नए वैरिएंट को 501.V2 नाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि नया वैरिएंट देश की लैब्स के रूटीन सर्विलांस करने के दौरान पाया गया.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, "जो सबूत इकट्ठे किए गए हैं, वो संकेत देते हैं कि देश में जो सेकंड वेव चल रही है वो इसी नए वैरिएंट की वजह से है."
क्या नया वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है?
वैरिएंट को पहली बार Eastern Cape, KwaZulu-Natal और Western Cape में देखा गया था. पहले ये तटीय इलाकों तक सीमित था, लेकिन अब ये इनलैंड साउथ अफ्रीका में आ गया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट किया, "सेकंड वेव शुरुआती संकेत दिखा रही है कि ये पहली वेव से तेजी से फैल रही है. ये अभी साफ है कि सेकंड वेव में ज्यादा मौतें हैं या कम. मौजूदा मौत की जानकारियों पर हमने अभी कोई परेशान करने वाला संकेत नहीं देखा है."
किसे ज्यादा खतरा है?
नए वैरिएंट से जवान लोग जिन्हें कोई कोमोर्बिडिटी नहीं है, वो ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. सरकार ने इस बात की जानकारी दी है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, "चिकित्सक हमें क्लीनिकल एपिडेमियोलॉजिकल तस्वीर में बदलाव के सबूत दे रहे हैं. वो देख रहे हैं कि जवान मरीजों की बड़ी जनसंख्या संक्रमित हो रही है."
किन देशों ने साउथ अफ्रीका के साथ एयर ट्रेवल निलंबित कर दिया है?
- जर्मनी
- तुर्की
- इजरायल
- स्विट्जरलैंड
- यूनाइटेड किंगडम
- उज्बेकिस्तान
- नीदरलैंड्स
- मॉरिशस
ये UK वैरिएंट से कैसे अलग है?
साउथ अफ्रीका में संक्रामक बीमारियों के बड़े एक्सपर्ट डॉ रिचर्ड लेसेल्स ने कहा, "वैक्सीन के लिए UK वैरिएंट के मुकाबले हमारे वैरिएंट को लेकर कुछ चिंताएं हैं." द गार्डियन के मुताबिक, डॉ लेसेल्स ने कहा, "हम सावधानीपूर्वक और मेथॉडिकल तरीके से लैब में काम कर रहे हैं और सभी सवालों के जवाब तलाश रहे हैं. और इस काम में समय लगता है."
UK और अपना डेटा साथ रखकर देखने पर पता चलता है कि हमारा वैरिएंट एक शख्स से दूसरे तक फैलने में ज्यादा प्रभावी है और ये ठीक नहीं है. इसका मतलब है कि हमें इसे रोकने के लिए और अच्छा होना पड़ेगा.
रॉयटर्स के मुताबिक, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की सुजन हॉपकिंस ने कहा कि नया वैरिएंट 'काफी अलग' लगता है और इसमें 'अलग म्युटेशन' हैं.
शुरुआती जानकारी से लगता है साउथ अफ्रीकन वैरिएंट ज्यादा फैलने वाला हो सकता है. हालांकि, वैज्ञानिक अभी और डेटा का इंतजार कर रहे हैं.
दोनों वैरिएंट के बीच समानताएं क्या हैं?
N501Y नाम की एक म्युटेशन दोनों वैरिएंट में है और इनके तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार हो सकती है. ये म्युटेशन वायरस के उस हिस्से में हुई है, जिससे वो मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए इस्तेमाल करता है.
दोनों वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुए हैं. ये प्रोटीन मानव कोशिकाओं में घुसने में वायरस की मदद करता है.
एक और समानता ये है कि दोनों ही वैरिएंट अभी तक गंभीर बीमारी या मौत से जुड़े नहीं पाए गए.
क्या भारत को दोनों वैरिएंट पर चिंता करनी चाहिए?
क्विंट से बात करते हुए वायरोलॉजिस्ट और अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस के डायरेक्टर डॉ शाहिद जमील ने कहा, "नया वैरिएंट पाया गया है. हमें चिंता होना चाहिए लेकिन घबराना नहीं चाहिए."
भारत ने यूके के साथ ट्रेवल बंद कर दिया है. हालांकि, अभी तक साउथ अफ्रीका पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
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