दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में नर्सरी में एडमिशन से जुड़ी परेशानियों और गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है.
सरकार ने नामांकन के लिए आर्थिक रुप से पिछड़े तबके को छोड़कर मैनेजमेंट के साथ-साथ अन्य सभी कोटों को खत्म कर दिया है. इस फैसले के बाद निजी स्कूलों को नर्सरी कक्षाओं में 75 फीसदी सीटों पर ओपन एडमिशन करने होंगे.
सरकार ने स्कूलों को चेतावनी दी है कि जो संस्थान आदेश का उल्लंघन करेंगे उन पर शिक्षा विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा.
घोटालों की जड़ है मैनेजमेंट कोटा
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मैनेजमेंट कोटे को शिक्षा क्षेत्र में ‘‘सबसे बड़े घोटाले’’ की जमीन करार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसे ‘‘मूकदर्शक’’ बनकर नहीं देखेगी.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने एडमिशन के लिए स्कूलों द्वारा अपनी वेबसाइट पर सूचीबद्ध 62 ‘‘मनमाने और भेदभावपूर्ण’’ नियमों को रद्द कर दिया है.
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्लीप्रबंधन कोटा क्या है ? इसके तहत अगर किसी की अनुशंसा मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, न्यायाधीश, पुलिस आयुक्त, एसएचओ या आयकर विभाग का कोई अधिकारी करता है. फिर, नामांकन मिल जाएगा. ऐसे में या तो अनुशंसा से नामांकन मिलता है या फिर सीटें बेची जाती हैं. प्रबंधन कोटा देश में सबसे बड़ा घोटाला है. अब दिल्ली सरकार रद्द कर रही है. निजी स्कूलों में 75 फीसदी नामांकन सामान्य श्रेणी में होगा. ईडब्ल्यूएस श्रेणी के अलावा कोई दूसरा कोटा नहीं होगा.
स्कूलों का अधिग्रहण कर सकती है सरकार
केजरीवाल ने कहा कि इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे संस्थानों के खिलाफ उनका अधिग्रहण करने सहित सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेगी. बहरहाल, आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए 25 फीसदी कोटा बना रहेगा.
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्लीअगर स्कूल नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है. या सरकार उनका अधिग्रहण कर सकती है. माफियाओं ने शिक्षा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. और. इसे व्यवसाय बना दिया है. सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.
कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर सभी निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को 2016-17 सत्र के लिए शुरुआती कक्षा में 75 प्रतिशत खुली सीटों पर नामांकन करने की प्रक्रिया विकसित करने के लिए कहा है.
निदेशालय की ओर से जारी किए गए आदेश में स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा गया है कि वह ऐसी प्रवेश प्रक्रिया अपनाएं जो कि स्पष्ट, समान, भेदभाव रहित और पारदर्शी हो.
केजरीवाल ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया को जनहितैषी और पारदर्शी बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है. दिल्ली में निजी स्कूलों के कोटे में प्रबंधन, भाई-बहन, एलुमनी और कई अन्य आरक्षित वर्ग हैं.
अभिभावकों को खान-पान की नहीं देनी होगी जानकारी
कैबिनेट में लिए गए फैसले में स्कूलों को अभिभावकों से यह घोषणा कराने से भी रोका गया है कि वे धूम्रपान करते हैं या नहीं, शराब पीते हैं या नहीं या मांसाहारी भोजन करते हैं या नहीं.
हाईकोर्ट ने आदेश में दिल्ली सरकार से कहा था कि नामांकन प्रक्रिया को इतना संकीर्ण नहीं किया जाए. इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्कूलों को उनके संबंधित नियम तय करने और अपनी वेबसाइट पर लगाने की अनुमति दी.
केजरीवाल ने कहा कि स्कूलों द्वारा रखे गए कुछ नियम काफी हैरान कर देने वाले और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने वाले थे. संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष सब समान हैं.
(इनपुट्स एजेंसी से लिए गए हैं)
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