2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. कोर्ट ने बुधवार को चार दोषियों में से एक मुकेश की याचिका याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अब इस केस में कोई योग्यता नहीं है, कथित टॉर्चर फांसी रोकने के लिए आधार नहीं हो सकती है, सभी दस्तावेजों को राष्ट्रपति के सामने रखा गया था और इन बातों को ध्यान में रखा गया है.
कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने दोषियों के वकील पर अपना गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने कहा, “सात साल में एक बार आप बहस के लिए अदालत आते हो और कहते हो कि राष्ट्रपति ने दिमाग नहीं लगाया. आपको वकील होने के नाते अपने और देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. मुझे सुप्रीम कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है.”
निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी मुकेश कुमार सिंह ने पिछले हफ्ते दया याचिका पेश की थी, जिसे 17 जनवरी को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. प्रधान न्यायाधीश न्यामूर्ति एस.ए बोबडे, न्यामूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “अगर किसी को फांसी होने वाली है, तो इससे ज्यादा जरूरी कुछ नहीं हो सकता.”
1 फरवरी को दी जानी है फांसी
निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ कोर्ट ने 17 जनवरी को डेथ वारंट जारी किया है, जिसके मुताबिक सभी दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. हालांकि, इससे पहले भी 22 जनवरी को फांसी देने का फैसला किया गया था, लेकिन मुकेश ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी. 17 जनवरी को ही राष्ट्रपति ने मुकेश की दया याचिका को खारिज कर दिया था और कोर्ट ने फिर से डेथ वारंट जारी किया था.
16 दिसंबर, 2012 को क्या हुआ था?
16 दिसंबर, 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. 6 आरोपियों ने 23 वर्षीय महिला के साथ चलती बस में मिलकर दुष्कर्म किया था और उसकी बुरी तरह पिटाई की थी. बाद में छात्रा की मौत हो गई थी. सभी 6 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. आरोपियों में से एक नाबालिग था, इसलिए उसे किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया. वहीं एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी.
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