निर्भया को दोषियों के खिलाफ कोर्ट ने 17 जनवरी को फिर से डेथ वारंट जारी किया है, जिसके मुताबिक अब दोषियों को 1 फरवरी सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. निर्भया के दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी जिसे खारिज कर दी गई है. लेकिन काननूी पेचेदिगियों को देखें तो अब भी ये कम ही मुमकिन लग रहा है कि 1 फरवरी को निर्भया के गुनहगारों को फांसी होगी.
डेथ वारंट के बाद 14 दिन का समय
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक फांसी की सजा के दोषियों को डेथ वारंट जारी करने के दिन से 14 दिन का वक्त दिया जाता है. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने 15 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी थी कि दोषियों की दया याचिका खारिज और फांसी के दिन के बीच कम से कम 14 दिन होना चाहिए.
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक मुकेश के अलावा अभी भी तीन दोषियों विनय, अक्षय और पवन के पास दया याचिका का विकल्प खुला है. अभी केवल मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज हुई है.
चलिए आपको बताते हैं निर्भया के चारों दोषियों की कौन सी याचिका की क्या स्थिति है?
मुकेश सिंह
- रिव्यू पेटिशन- खारिज
- क्यूरेटिव पेटिशन- खारिज
- मर्सी पेटिशन- खारिज
इसका मतलब है कि मुकेश सिंह के पास अब कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं बचा है, मुकेश ने फांसी से खुद को बचाने के लिए सारे विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है.
विनय शर्मा
- रिव्यू पेटिशन- खारिज
- क्यूरेटिव पेटिशन-खारिज
- मर्सी पेटिशन- बची हुई है
दोषी विनय शर्मा के पास रिव्यू और क्यूरेटिव पेटिशन का विकल्प खत्म हो चुका है, लेकिन अभी उसके पास मर्सी पेटिशन यानी दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा है.
अक्षय सिंह ठाकुर
- रिव्यू पेटिशन- खारिज
- क्यूरेटिव पेटिशन- बची है
- मर्सी पेटिशन- बचा हुई है
दोषी अक्षय ठाकुर के पास रिव्यू पेटिशन दाखिल करने का विकल्प खत्म हो चुका है लेकिन अभी भी उसके पास क्यूरेटिव और मर्सी पेटिशन दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है.
पवन गुप्ता
- रिव्यू पेटिशन खारिज
- क्यूरेटिव पेटिशन- बची है
- मर्सी पेटिशन- बचा हुई है
दोषी पवन गुप्ता के पास भी रिव्यू पेटिशन का विकल्प नहीं बचा है लेकिन क्यूरेटिव और मर्सी पेटिशन का विकल्प अभी उसके पास है.
एक तथ्य ये भी है कि ये चारों एक ही मामले में दोषी हैं तो इन्हें फांसी भी एक साथ ही होनी है. ऐसे में जब तक सारे दोषियों के सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते, तब तक किसी को फांसी नहीं हो सकती. लेकिन पवन, अक्षय़, विनय की याचिकाओं पर इतनी जल्दी फैसला होना मुश्किल लग रहा है. अगर फैसला हो भी जाए और सबके खिलाफ डेथ वारंट भी जारी हो जाए तो 14 दिन का अंतराल फिर भी चाहिए
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