2012 निर्भया रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट 2 दोषियों की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच 14 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी. दोनों दोषी विनय शर्मा और मुकेश ने फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी. साथ ही उसने अपने खिलाफ जारी हुए डेथ वारंट पर रोक लगाने की अर्जी भी लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई करेगी. इस बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण का नाम शामिल हैं.
निर्भया के गुनहगार विनय ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन में अपनी युवावस्था का हवाला दिया है.
बता दें, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को ही चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया था. चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जाएगी. चारों आरोपियों को तिहाड़ की जेल नंबर-3 में फांसी पर लटकाया जाएगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश के जेल विभाग की ओर से जल्लाद भेजे जाने के लिए हामी भर दी गई है.
16 दिसंबर 2012 की वो रात
16 दिसंबर 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था और उस पर नृशंस हमला करके उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. उसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.
क्यूरेटिव पिटीशन क्या है?
आखिरी रूप से दोषी करार दिए जाने के बाद दोषी पुनर्विचार याचिका दाखिल करता है. लेकिन इसके बाद भी एक रास्ता बचता है वो रास्ता है क्यूरेटिव पिटीशन का. न्याय व्यवस्था में ये रास्ता इसलिए दिया गया है ताकि किसी के साथ अन्याय न हो. क्यूरेटिव पिटीशन या सुधारात्मक याचिका किसी दोषी के पास मौजूद अंतिम कानूनी उपाय होता है. क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई जज के चैंबर में होती है. क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा 2002 केस के आधार पर होती है.
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